महाकाल को कालों का काल कहा जाता है। महाकाल के मंदिर में आने वाले व्यक्ति की मुराद यूं ही पूरी हो जाती है तो वहीं महाकाल के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन करने वालों का भी बेड़ा पार होने में देर नहीं लगती है। हालांकि ऐसे कम ही अवसर आते है जब महाकाल अपने भक्तों को विभिन्न स्वरूपों में दर्शन देते है लेकिन अभी महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर मंे शिव नवरात्रि मनाई जा रही है और इस दौरान विभिन्न स्वरूपों में राजाधिराज महाकाल को श्रृंगारित किया जा रहा है। 16 फरवरी से शुरू हुई शिव नवरात्रि में अभी तक शेषनाग और घटाटोप के साथ ही रविवार को छबीना श्रृंगार किया जा चुका है लेकिन सोमवार से लेकर महाशिवरात्रि के दूसरे दिन तक ही यदि महाकाल के इन श्रृंगारों का दर्शन कर लिया जाये तो समस्त पापों का नाश हो जाता है वहीं मनोकामना भी पूरी होती है। कब कौन से होंगे श्रृंगार 20 फरवरी- होल्कर मुघौटा, 21 फरवरी- मनमहेश, 22 फरवरी- उमा महेश, 23 फरवरी- शिव तांडव, 24 फरवरी-महाशिवरात्रि पर निरंकारी स्वरूप और 25 फरवरी-सप्तधान्य, सेहरा तथा दोपहर की भस्मारती। घटाटोप के दर्शन कर अभिभूत, मंदिर में भक्तों का उल्लास दूल्हा बने भूत भावन महाकाल.....सुंगध से महका गर्भग्रह