हिन्दू धर्म की माने तो सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता हैं और ऐसे में आज शुक्रवार हैं. आप सभी को बता दें कि आज का दिन देवी मां लक्ष्मी को समर्पित हैं लेकिन आज महायोग बन रहा हैं. जी दरअसल आज से ही महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो रही हैं और इसी के कारण आज देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष योग बन रहा हैं. कहते हैं कि महालक्ष्मी व्रत के दौरान देवी लक्ष्मी का व्रत कर विधि विधान से पूजा पाठ करने से दरिद्रता दूर होती हैं और इसी वजह से आज हम आपके लिए पार्श्वनाथ चालीसा लेकर आए हैं जिसे आज आपको पढ़ना चाहिए. पार्श्वनाथ चालीसा - दोहा - शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूं प्रणाम. उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम. सर्व साधु और सरस्वती, जिन मंदिर सुखकार. अहिच्छत्र और पार्श्व को, मन मंदिर में धार. ..चौपाई.. पार्श्वनाथ जगत हितकारी, हो स्वामी तुम व्रत के धारी. सुर नर असुर करें तुम सेवा, तुम ही सब देवन के देवा. तुमसे करम शत्रु भी हारा, तुम कीना जग का निस्तारा. अश्वसेन के राजदुलारे, वामा की आंखों के तारे. काशीजी के स्वामी कहाए, सारी परजा मौज उड़ाए. इक दिन सब मित्रों को लेके, सैर करन को वन में पहुंचे. हाथी पर कसकर अम्बारी, इक जंगल में गई सवारी. एक तपस्वी देख वहां पर, उससे बोले वचन सुनाकर. तपसी! तुम क्यों पाप कमाते, इस लक्कड़ में जीव जलाते. तपसी तभी कुदाल उठाया, उस लक्कड़ को चीर गिराया. निकले नाग-नागनी कारे, मरने के थे निकट बिचारे. रहम प्रभु के दिल में आया, तभी मंत्र नवकार सुनाया. मरकर वो पाताल सिधाए, पद्मावती धरणेन्द्र कहाए. तपसी मरकर देव कहाया, नाम कमठ ग्रंथों में गाया. एक समय श्री पारस स्वामी, राज छोड़कर वन की ठानी. तप करते थे ध्यान लगाए, इक दिन कमठ वहां पर आए. फौरन ही प्रभु को पहिचाना, बदला लेना दिल में ठाना. बहुत अधिक बारिश बरसाई, बादल गरजे बिजली गिराई. बहुत अधिक पत्थर बरसाए, स्वामी तन को नहीं हिलाए. पद्मावती धरणेन्द्र भी आए, प्रभु की सेवा में चित लाए. धरणेन्द्र ने फन फैलाया, प्रभु के सिर पर छत्र बनाया. पद्मावती ने फन फैलाया, उस पर स्वामी को बैठाया. कर्मनाश प्रभु ज्ञान उपाया, समोशरण देवेन्द्र रचाया. यही जगह अहिच्छत्र कहाए, पात्र केशरी जहां पर आए. शिष्य पांच सौ संग विद्वाना, जिनको जाने सकल जहाना. पार्श्वनाथ का दर्शन पाया, सबने जैन धरम अपनाया. अहिच्छत्र श्री सुन्दर नगरी, जहां सुखी थी परजा सगरी. राजा श्री वसुपाल कहाए, वो इक जिन मंदिर बनवाए. प्रतिमा पर पालिश करवाया, फौरन इक मिस्त्री बुलवाया. वह मिस्तरी मांस था खाता, इससे पालिश था गिर जाता. मुनि ने उसे उपाय बताया, पारस दर्शन व्रत दिलवाया. मिस्त्री ने व्रत पालन कीना, फौरन ही रंग चढ़ा नवीना. गदर सतावन का किस्सा है, इक माली का यों लिक्खा है. वह माली प्रतिमा को लेकर, झट छुप गया कुए के अंदर. उस पानी का अतिशय भारी, दूर होय सारी बीमारी. जो अहिच्छत्र हृदय से ध्वावे, सो नर उत्तम पदवी वावे. पुत्र संपदा की बढ़ती हो, पापों की इकदम घटती हो. है तहसील आंवला भारी, स्टेशन पर मिले सवारी. रामनगर इक ग्राम बराबर, जिसको जाने सब नारी-नर. चालीसे को 'चन्द्र' बनाए, हाथ जोड़कर शीश नवाए. सोरठा नित चालीसहिं बार, पाठ करे चालीस दिन. खेय सुगंध अपार, अहिच्छत्र में आय के. होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो. जिसके नहिं संतान, नाम वंश जग में चले. करोड़पति बनने के लिए गणेश चतुर्थी के किसी भी दिन तिजोरी में रख लें यह छोटी सी चीज़ इस तरह गुरु रामकृष्ण परंहंस ने दिए थे शिष्य स्वामी विवेकानंद के सवालों के जवाब अगर आपके घर में बिल्ली करती है मल-त्याग तो आपके लिए है खुशखबरी