अयोध्या। अयोध्या के विवादित श्री राम जन्मभूमि मंदिर एवं विवादित बाबरी मस्जिद को लेकर, हनुमान गढ़ी के महंत ज्ञान दास महाराज ने महत्वपूर्ण जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि श्री राम मंदिर वर्ष 2010 में ही बन जाता मगर उनके साथ धोखा हुआ था। उनका कहना था कि, इस तरह के अनुबंध पर आवश्यक हस्ताक्षर कर दिए गए थे, केवल निर्मोही अखाड़े ने ही हस्ताक्षर नहीं किए थे। महंत ज्ञान दास महाराज ने इस विवादित विषय को सुलझाने के लिए, मध्यस्थता करने वाले आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर को ढोंगी और पाखंडी तक कहा। उन्होंने कहा कि जब वे बंगलुरू गए थे, तो उन्हें बुलाया गया और, कहा गया कि, उन्होंने हमसे ही सवाल किए और कहा कि, आखिर आप मुसलमानों को बढ़ावा क्यों दे रहे हैं, मगर बाद में इन्होंने ही मुसलमानों को ऊॅंचे आसनों पर बैठाकर रख दिया। उन्हें इन बातों को लेकर डांटा गया था। यह तो दोगला चरित्र है, जो एग्रीमेंट हुआ था उन पर निर्मोही अखाड़े ने हस्ताक्षर कर दिए थे। मगर अशोक सिंघल, विनय कटियार और श्री श्री रविशंकर ने इस मामले में इन्कार कर दिया था जिसके बाद, अनुबंध के कागज़ जलाने पड़ गए थे। महंत ज्ञान दास महाराज ने कहा कि श्री श्री दोहरी बातें करते हैं, वे हमसे मिलने आ रहे थे, ऐसे में हमने उनसे मिलने के लिए इन्कार कर दिया। निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास ने कहा कि, समझौते हेतु सुन्नी वक्फ बोर्ड को 1 करोड़ रूपए से लेकर 20 करोड़ रूपए की राशि दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि मस्जिद के लिए विद्या कुंद के पास जमीन दी जा सकती है। जबकि मंदिर वहीं बनेगा जहां पर है। अयोध्या में चाय बेचने वाले की चाहत शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जताया बाबरी मस्जिद पर अपना हक