मुंबईः महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनाव में दो हफ्ते के करीब समय बचा है। राज्य में हमेशा बीजेपी छोटे भाई और शिवसेना बड़े भाई की भूमिका में रही है। मगर इस बार दृश्य बदला हुआ है। 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी बड़े भाई के रोल में है। इस बार चुनाव में भाजपा 164 और शिवसेना 124 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले तक भाजपा हमेशा 110 से 115 जबकि शेष सीटों पर शिवसेना अपने उम्मीदवार खड़े करती रही है। 2014 का विधानसभा चुनाव दोनों दलों ने अलग-अलग लड़ा था। शिवसेना पहले बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने पर अड़ी हुई थी लेकिन भाजपा ने उसकी इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया था। शुक्रवार देर रात दोनों ही दलों ने सीटों के गठबंधन का एलान किया था। एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के उम्मीदवार भाजपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे। इससे छोटे दलों का महत्व लगभग खत्म हो जाएगा क्योंकि वे भाजपा को छोड़कर अन्य किसी का समर्थन करने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं।शिवसेना भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी है। दोनों दलों के बीच पहली बार साल 1989 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में गठबंधन हुआ था। इसके बाद से विधानसभा और लोकसभा के सभी चुनाव दोनों दलों ने मिलकर लड़े। दोनों ने साल 1995 में मिलकर सरकार बनाई थी। इसमें शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने थे लेकिन यह दोस्ती साल 2014 में सीटों के बंटवारे को लेकर टूट गई। तब भाजपा की ताकत महाराष्ट्र समेत पूरे देश में बढ़ रही थी और पार्टी मोदी लहर के बल पर महाराष्ट्र चुनाव भी जीतना चाहती थी। भाजपा अकेले चुनाव लड़कर सबसे बड़ा दल बनकर उभरी और राज्य में सरकार बनाई। आज फ़ारूक़ और उमर अब्दुल्ला से मुलाकात करेंगे नेशनल कांफ्रेंस के नेता, प्रशासन ने दी इजाजत सीट बंटवारे को लेकर उद्धव ठाकरे का बयान, कहा-कौन बड़ा कौन छोटा ये महत्वपूर्ण नहीं ... इस्तीफा देने के बाद बोले अशोक तंवर, कहा- पार्टी खुद ही कांग्रेस मुक्त भारत बनाने में जुटी हुई है...