मुंबईः महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के होने में अब दो हफ्तों के करीब का वक्त बचा रह गया है। ऐसे में तमाम दल चुनावी मोड में आ गए हैं। राज्य की सत्ताधारी एनडीए गठबंधन में लंबे खींचतान के बाद आखिरकार गठबंधन हो गया। महाराष्ट्र में पहली बार किसी विधानसभा चुनाव में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में दिखेगी। जबकि शिवसेना छोटे भाई के रोल। पहले स्थिति उलट हुआ करती थी। इसलिए गठबंधन होनवे के बावजूद भी उद्धव ठाकरे के मन में कसक कायम है। यह कसक कम सीटों को लेकर है। पिछड़े समाज के नेताओं के साथ हुई उनकी बैठक में यह कसक तब सामने आ गई, जब उन्होंने कहा कि मित्र दलों को उनकी जगह दिखाने का काम भाजपा का है। हालांकि उन्होंने तुरंत यह कहते हुए सफाई भी दे दी कि हम सिर्फ ‘जगह’ के बारे में बात कर रहे हैं। भाजपा-शिवसेना के करीब 30 साल पुराने गठबंधन में पहली बार शिवसेना को भाजपा से कम सीटों पर लड़ना पड़ रहा है। राजग गठबंधन में शामिल शिवसेना 124 तथा भाजपा चार अन्य दलों के साथ 164 सीटों पर लड़ रही है। चार अन्य दलों में रामदास आठवले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को छह, मराठा नेता विनायक मेटे के शिव संग्राम पक्ष को चार, सांसद राजू शेट्टी से अलग होकर रैयत क्रांति संगठन बनाने वाले सदाभाऊ खोत को चार और महादेव जानकर के राष्ट्रीय समाज पक्ष को दो सीटें हासिल हुई हैं। बाकी 148 सीटों पर भाजपा चुनाव लड़ रही है। भाजपा इन दलों के साथ मिलकर शिवसेना के बगैर भी सत्ता पाने लायक जादुई आंकड़ा, यानी 145 सीट जीतने में कामयाब हो सकती है। शिवसेना को भाजपा का यही स्वावलंबन अखर रहा है। बीजेपी को लगता है कि पीएम मोदी की छवि के कारण उसे राज्य में सहयोगियों की उतनी जरूरत नहीं है। महाराष्ट्र चुनाव: नितेश राणे की उम्मीदवारी को लेका भाजपा-शिवसेना गठबंधन में आई खटास भारत दौरे पर आएँगे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पीएम मोदी के साथ करेंगे अहम बैठक गाँधी परिवार की सिक्योरिटी में बड़ा बदलाव, मोदी सरकार ने जारी किए आदेश