मुंबई: महाराष्ट्र की कार्यवाहक सरकार ने राज्य के वक्फ बोर्ड को ₹10 करोड़ की निधि देने के हालिया फैसले पर रोक लगा दी है। सरकार ने इसे एक प्रशासनिक चूक करार देते हुए स्पष्ट किया कि यह निर्णय बिना उचित जांच-पड़ताल के लिया गया था। मुख्य सचिव सुजीता सौनिक ने बताया कि यह आदेश अनजाने में जारी हुआ और गलती से बोर्ड के लिए धनराशि की मंजूरी दे दी गई। पिछले हफ्ते, 28 नवंबर 2024 को महाराष्ट्र सरकार ने एक आधिकारिक आदेश जारी करते हुए राज्य के वक्फ बोर्ड को ₹10 करोड़ की राशि आवंटित की थी। यह राशि वक्फ बोर्ड के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से दी जानी थी। आदेश अल्पसंख्यक विभाग द्वारा जारी किया गया था, और इसे विकास से जुड़े कार्यों में उपयोग करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, इस फैसले के सामने आते ही विवाद खड़ा हो गया। विपक्ष और हिंदूवादी संगठनों ने इस कदम की कड़ी आलोचना की। उनका कहना था कि देश के विभिन्न हिस्सों, जैसे कर्नाटक और केरल में, वक्फ बोर्डों पर अवैध रूप से जमीनों पर दावे करने के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में इन पर निधि जारी करना अनुचित है। उन्होंने सरकार पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने और वक्फ बोर्डों के खिलाफ लगे आरोपों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। विरोध को देखते हुए, सरकार ने फौरन इस निर्णय पर पुनर्विचार किया और आदेश पर रोक लगा दी। प्रशासनिक गलती की बात स्वीकार करते हुए राज्य ने कहा कि इस मामले की विस्तृत जांच की जाएगी। इस घटनाक्रम ने राज्य सरकार को असहज स्थिति में डाल दिया है और इसे लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है। सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि आगे किसी भी निर्णय से पहले वक्फ बोर्ड के कामकाज, फंड के उपयोग और उनके खिलाफ लगे आरोपों की गहन जांच की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी निर्णय पूरी पारदर्शिता और नियमों के तहत हो। 'मुस्लिम बन वरना...', क़ासिम कसाई ने धोखे से की शादी, अब डाल रहा धर्मांतरण का-दबाव 'बलात्कार के बाद कर दी हत्या, फिर लाश से भी रेप और...', जानिए मामला कांग्रेस को महाराष्ट्र के नतीजे स्वीकार नहीं..! चुनाव आयोग से EVM की शिकायत करेगी पार्टी