आज महाशिवरात्रि पर करें भगवान गंगाधर और त्रिदेवो की आरती

हर साल मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि का पर्व आज है। ऐसे में आज शिव भक्त भोले बाबा का पूजन करेंगे और उन्हें खुश करेंगे। ऐसे में अगर आप भी पूजन करने जा रहे हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान गंगाधर जी की आरती जो आपको आज करना चाहिए। 

भगवान गंगाधर जी की आरती- ॐ जय गंगाधर जय हर जय गिरिजाधीशा । त्वं मां पालय नित्यं कुपया जगदीशा ॥ हर हर हर महादेव ॥ १॥ कैलासे गिरिशिखरे कल्पद्रुमविपिने । गुञ्जति मधुकरपुञ्जे कुञ्जवने गहने ॥ कोकिलकूजित खेलत हंसावन ललिता । रचयति कलाकलापं नृत्यति मुदसहिता ॥ हर हर हर महादेव ॥ २॥ तस्मिल्ललितसुदेशे शाला मणिरचिता । तन्मध्ये हरनिकटे गौरी मुदसहिता ॥ क्रीडा रचयति भूषारञ्जित निजमीशम् । इन्द्रादिक सुर सेवत नामयते शीशम् ॥ हर हर हर महादेव ॥ ३॥ बिबुधबधू बहु नृत्यत हृदये मुदसहिता । किन्नर गायन कुरुते सप्त स्वर सहिता ॥ धिनकत थै थै धिनकत मृदङ् वादयते । क्वण क्वण ललिता वेणुं मधुरं नाटयते ॥ हर हर हर महादेव ॥ ४॥ रुण रुण चरणे रचयति नूपुरमुज्ज्चलिता । चक्रावर्ते भ्रमयति कुरुते तां धिक तां ॥ तां तां लुप चुप तां तां डमरू वादयते । अंगुष्ठांगुलिनादं लासकतां कुरुते ॥ हर हर हर महादेव ॥ ५॥ कर्पूरद्युतिगौरं पञ्चाननसहितम् । त्रिनयनशशिधरमौलिं विषधरकण्ठयुतम् ॥ सुन्दरजटाकलापं पावकयुतभालम् । डमरुत्रिशूलपिनाकं करधृतनृकपालम् ॥ हर हर हर महादेव ॥ ६॥ मुण्डै रचयति माला पन्नगमुपवीतम् । वामविभागे गिरिजारूपं अतिललितम् ॥ सुन्दरसकलशरीरे कृतभस्माभरणम् । इति वृषभध्वजरूपं तापत्रयहरणम् ॥ हर हर हर महादेव ॥ ७॥ शङ्खनिनादं कृत्वा झल्लरि नादयते । नीराजयते ब्रह्मा वेदकऋचां पठते ॥ अतिमृदुचरणसरोजं हृत्कमले धृत्वा । अवलोकयति महेशं ईशं अभिनत्वा ॥ हर हर हर महादेव ॥ ८॥ ध्यानं आरति समये हृदये अति कृत्वा । रामस्त्रिजटानाथं ईशं अभिनत्वा ॥ संगतिमेवं प्रतिदिन पठनं यः कुरुते । शिवसायुज्यं गच्छति भक्त्या यः शृणुते ॥ हर हर हर महादेव ॥ ९॥

॥ इति आरती भगवान गंगाधर समाप्त ॥

त्रिदेवो की आरती ॐ जय शिव ओंकारा,भोले हर शिव ओंकारा। ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव।।।॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे। हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव।।॥ दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव।।॥ अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी। चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव।।॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव।।॥ कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता। जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता ॥ ॐ हर हर हर महादेव।।॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव।।॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठि दर्शन पावत रुचि रुचि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव।।॥ लक्ष्मी व सावित्री, पार्वती संगा । पार्वती अर्धांगनी, शिवलहरी गंगा ।। ॐ हर हर हर महादेव।।।। पर्वत सौहे पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ।। ॐ हर हर हर महादेव।।।। जटा में गंगा बहत है, गल मुंडल माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ।। ॐ हर हर हर महादेव।।।। त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव।।॥ ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ।। ॐ हर हर हर महादेव।।।।।।।।।

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