महाशिवरात्रि के दिन पढ़े शंख पूजन मंत्र से लेकर ध्यान मंत्र और आहवान मंत्र

आज महाशिवरात्रि का पर्व है। ऐसे में अगर आप पूजन करने जा रहे हैं तो इन मन्त्रों को याद कर लें। शंख पूजन से लेकर आहवान मंत्र तक हम आपको आज बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं। 

द्विग्रक्षण - मंत्र  यादातर संस्थितम भूतं स्थानमाश्रित्य सर्वात:/ स्थानं त्यक्त्वा तुं तत्सर्व यत्रस्थं तत्र गछतु // यह मंत्र बोल कर चावालको अपनी चारो और डाले।

वरुण पूजन   अपाम्पताये वरुणाय नमः।  सक्लोप्चारार्थे गंधाक्षत पुष्पह: समपुज्यामी। यह बोल कर कलश के जल में चन्दन - पुष्प डाले और कलश में से थोडा जल हाथ में ले कर निन्म मंत्र बोल कर पूजन सामग्री और खुद पर वो जल के छीटे डाले

दीप पूजन दिपस्त्वं देवरूपश्च कर्मसाक्षी जयप्रद:।  साज्यश्च वर्तिसंयुक्तं दीपज्योती जमोस्तुते।। ( बोल कर दीप पर चन्दन और पुष्प अर्पण करे )

शंख पूजन   लक्ष्मीसहोदरस्त्वंतु विष्णुना विधृत: करे। निर्मितः सर्वदेवेश्च पांचजन्य नमोस्तुते।। ( बोल कर शंख पर चन्दन और पुष्प चढ़ाये )

घंट पूजन देवानं प्रीतये नित्यं संरक्षासां च विनाशने।  घंट्नादम प्रकुवर्ती ततः घंटा प्रपुज्यत।। ( बोल कर घंट नाद करे और उस पर चन्दन और पुष्प चढ़ाये )

ध्यान मंत्र  ध्यायामि दैवतं श्रेष्ठं नित्यं धर्म्यार्थप्राप्तये।  धर्मार्थ काम मोक्षानाम साधनं ते नमो नमः।। ( बोल कर भगवान शंकर का ध्यान करे )

आहवान मंत्र   आगच्छ देवेश तेजोराशे जगत्पतये। पूजां माया कृतां देव गृहाण सुरसतम।। ( बोल कर भगवन शिव को आह्वाहन करने की भावना करे )

आसन मंत्र   सर्वकश्ठंयामदिव्यम नानारत्नसमन्वितम। कर्त्स्वरसमायुक्तामासनम प्रतिगृह्यताम।। ( बोल कर शिवजी कोई आसन अर्पण करे )

खाध्य प्रक्षालन उष्णोदकम निर्मलं च सर्व सौगंध संयुत।  पद्प्रक्षलानार्थय दत्तं ते प्रतिगुह्यतम।। ( बोल कर शिवजी के पैरो को पखालने हे )

अर्ध्य मंत्र  जलं पुष्पं फलं पत्रं दक्षिणा सहितं तथा। गंधाक्षत युतं दिव्ये अर्ध्य दास्ये प्रसिदामे।। ( बोल कर जल पुष्प फल पात्र का अर्ध्य देना चाहिए )

पंचामृत स्नान पायो दाढ़ी धृतम चैव शर्करा मधुसंयुतम। पंचामृतं मयानीतं गृहाण परमेश्वर।। ( बोल कर पंचामृत से स्नान करावे )

स्नान मंत्र गंगा रेवा तथा क्षिप्रा पयोष्नी सहितास्त्था। स्नानार्थ ते प्रसिद परमेश्वर।। (बोल कर भगवन शंकर को स्वच्छ जल से स्नान कराये और चन्दन पुष्प चढ़ाये )

संकल्प मन्त्र अनेन स्पन्चामृत पुर्वरदोनोने आराध्य देवता: प्रियत्नाम। ( तत पश्यात शिवजी कोई चढ़ा हुवा पुष्प ले कर अपनी आख से स्पर्श कराकर उत्तर दिशा की और फेक दे ,बाद में हाथ को धो कर फिर से चन्दन पुष्प चढ़ाये )

अभिषेक मंत्र  सहस्त्राक्षी शतधारम रुषिभी: पावनं कृत। तेन त्वा मभिशिचामी पवामान्य : पुनन्तु में।। ( बोल कर जल शंख में भर कर शिवलिंगम पर अभिषेक करे ) बाद में शिवलिंग या प्रतिमा को स्वच्छ जल से स्नान कराकर उनको साफ कर के उनके स्थान पर विराजमान करवाए

वस्त्र मंत्र सोवर्ण तन्तुभिर्युकतम रजतं वस्त्र्मुत्तमम। परित्य ददामि ते देवे प्रसिद गुह्यतम।। ( बोल कर वस्त्र अर्पण करने की भावना करे )

जनेऊ मन्त्र  नवभिस्तन्तुभिर्युकतम त्रिगुणं देवतामयम। उपवीतं प्रदास्यामि गृह्यताम परमेश्वर।। ( बोल कर जनेऊ अर्पण करने की भावना करे )

चन्दन मंत्र मलयाचम संभूतं देवदारु समन्वितम। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रति गृह्यताम।। ( बोल कर शिवजी को चन्दन का लेप करे )

अक्षत मंत्र अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कंकुमुकदी सुशोभित।  माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर।।  (बोल चावल चढ़ाये )

पुष्प मंत्र नाना सुगंधी पुष्पानी रुतुकलोदभवानी च। मायानितानी प्रीत्यर्थ तदेव प्रसिद में।। ( बोल कर शिवजी को विविध पुष्पों की माला अर्पण करे )

बिल्वपत्र मन्त्र  त्रिदलं त्रिगुणा कारम त्रिनेत्र च त्र्ययुधाम।  त्रिजन्म पाप संहारमेकं बिल्वं शिवार्पणं।। ( बोल कर बिल्वपत्र अर्पण करे )

दूर्वा मन्त्र  दुर्वकुरण सुहरीतन अमृतान मंगलप्रदान। आतितामस्तव पूजार्थं प्रसिद परमेश्वर शंकर :।। ( बोल करे दूर्वा दल अर्पण करे )

सौभाग्य द्रव्य  हरिद्राम सिंदूर चैव कुमकुमें समन्वितम। सौभागयारोग्य प्रीत्यर्थं गृहाण परमेश्वर शंकर :।। ( बोल कर अबिल गुलाल चढ़ाये और होश्के तो अलंकर और आभूषण शिवजी को अर्पण करे )

धुप मन्त्र वनस्पति रसोत्पन्न सुगंधें समन्वित :। देव प्रितिकारो नित्यं धूपों यं प्रति गृह्यताम।। ( बोल कर सुगन्धित धुप करे )

दीप मन्त्र  त्वं ज्योति : सर्व देवानं तेजसं तेज उत्तम :.। आत्म ज्योति: परम धाम दीपो यं प्रति गृह्यताम।। ( बोल कर भगवन शंकर के सामने दीप प्रज्वलित करे )

नैवेध्य मन्त्र  नैवेध्यम गृह्यताम देव भक्तिर्मेह्यचलां कुरु। इप्सितम च वरं देहि पर च पराम गतिम्।। ( बोल कर नैवेध्य चढ़ाये )

भोजन (नैवेद्य मिष्ठान मंत्र) ॐ प्राणाय स्वाहा. ॐ अपानाय स्वाहा. ॐ समानाय स्वाहा ॐ उदानाय स्वाहा. ॐ समानाय स्वाहा  ( बोल कर भोजन कराये )

नैवेध्यांते हस्तप्रक्षालानं मुख्प्रक्षालानं आरामनियम च समर्पयामि।

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