भारत में स्वतंत्रता के पूर्व कई क्रांतिकारी हुए थे जिन्होंने देश की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। लेकिन इसके बावजूद महात्मा गांधी ने देश में कभी किसी क्रांतिकारी को ज्यादा महत्व नहीें दिया। इसका मुख्य कारण था कि भारत में हिंसात्मक रवैया न अपनाकर अहिंसा के मार्ग को अपनाना। गांधी जी के समय में उनके समकालीन बहुत सारे ऐसे क्रांतिकारी पुरूष थे जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। Manikarnika Teaser : खून से सनी हुईं दुश्मनों के छक्के छुड़ाने आ गईं रानी लक्ष्मी बाई वहीं आजादी के पहले से ही एक स्वतंत्र भारत का सपना सभी ने अपनी आंखों में देखा था। मगर गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग को अपनाया और देश में लड़ाईयां लड़ी। इसके अलावा भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान देकर भारत छोड़ो आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन, और असहयोग आंदोलन आदि चलाए। जिन्हें जनता का भी सहयोग प्राप्त हुआ। जिस गाँधी से पूरी दुनिया लेती है प्रेरणा, कभी उसे ब्रिटेन ने कहा था 'अधनंगा फकीर' महात्मा गांधी ने देश में सत्य और अहिंसा के मार्ग को पूरे देश में फैलाकर लोगों को इसका महत्व बताया इसके साथ ही छुआछूत जैसी समाज की कुरीतियों का भी विरोध कर उन्हें दूर किया। इसके साथ ही उन्होंने देश में चलाए गए खिलाफत आंदोलन राष्ट्रीय आंदोलन में तब्दील कर दिया। वहीं जब गांधी जी ने इरविन समझौता किया तो देश के कई क्रांतिकारीयों को इससे एक सदमा लगा। महात्मा गांधी ने देश के आजाद होने के बाद जवाहर लाल नेहरू को देश का प्रधानमंत्री बनाने पर पूरा जोर दिया और फिर नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। खबरें और भी गाँधी जयंती : राष्ट्रपिता से जुड़ी वो बातें जिन्हें आप नहीं जानते होंगे Gandhi Jayanti 2018: राष्ट्रपिता के इन अनमोल वचन पर आप भी अमल कीजिये गाँधी जयंती : देश भर के नेताओं ने इस तरह दी राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि