जैन धर्म में महावीर जयंती का ख़ास महत्व माना जाता है और महावीर स्वामी के पर्व को धूम धाम से मनाया जाता है. ऐसे में आज हम आप सभी को बताने जा रहे हैं उनके चिह्न का महत्व. जी दरअसल 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का चरण चिह्न सिंह (वनराज) है. कहते हैं सिंह अपने बल पर जंगल का राजा होता है, अपने क्षेत्र में निर्भय होकर विचरण करता है. वह पराक्रम और शौर्य का प्रतीक है. आप सभी जानते ही होंगे भगवान महावीर स्वामी ने कहा है कि, 'तुम भी सिंह के समान पराक्रमी, साहसी और निर्भयी बनो. कायर, दुर्बल और भयभीत रहने वाला भूतों का भोजन बन जाता है. कमजोर को सभी खा जाना चाहते हैं, कोई उसकी मदद करने नहीं आता. ' इसी के साथ उन्होंने कहा है, 'सिंह के इसी गुण से हम यह शिक्षा ले सकते हैं कि अपने स्वभाव के विपरीत कोई काम न करें. बुरे समय में भी कोई बुरा काम न करें.' केवल इतना ही नहीं भगवान महावीर के चिह्न लोक मंगल के प्रतीक हैं और 24 तीर्थंकरों के अलग-अलग चिह्नों में ‍ज्ञान, शिक्षा और प्रेरणा का भंडार है, उनसे सीख लेकर हम आध्यात्मिक बनकर जीवन के सभी पापों से दूर रहा जा सकता है. महावीर स्वामी का जन्मदिवस इस वार धूम धाम से मनाया नहीं जा सकेगा क्योंकि कोरोना वायरस के चलते सभी को अपने अपने घरों में रहने की हिदायत दी गई है ऐसे में सभी अपने अपने घरों के मंदिर को सजाकर इस पर्व को मनाए तो बेहतर होगा. लॉकडाउन : अगर बैंकों में है आपको काम तो, इस बात का रखे ध्यान कब है महावीर जयंती और कौन थे महावीर, जानिए यहाँ