गोरखपुर: उत्तर प्रदेश जल्द ही पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है। गोरखपुर में स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, राज्य का पहला आयुष विश्वविद्यालय, 2024 के अंत तक काम करना शुरू कर देगा। यह विश्वविद्यालय आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी से संबंधित शिक्षा और शोध का एक प्रमुख केंद्र बनेगा। इस परियोजना का विचार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर आया, और इसकी आधारशिला 28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने रखी थी। यह संस्थान गोरखपुर के पिपरी क्षेत्र में 52 एकड़ में फैला हुआ है। इसका उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और शोध के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचा प्रदान करना है। योगी आदित्यनाथ, जो स्वयं पारंपरिक चिकित्सा और योग के समर्थक हैं, इस परियोजना को प्राथमिकता देकर इसे साकार कर रहे हैं। विश्वविद्यालय आयुष पद्धतियों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के साथ जोड़ने की दिशा में काम करेगा। यहां आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी के पाठ्यक्रम पढ़ाए जाएंगे, जिनमें डिप्लोमा से लेकर डॉक्टरेट तक के कार्यक्रम शामिल होंगे। इसके अलावा, आयुष में पीएचडी जैसे विशेष पाठ्यक्रम भी विकसित किए जाएंगे, जिससे उन्नत शोध को बढ़ावा मिलेगा। विश्वविद्यालय की योजना 12 से अधिक अनूठे पाठ्यक्रम शुरू करने की है। ये पाठ्यक्रम न केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान करेंगे, बल्कि छात्रों को हर्बल चिकित्सा, योग चिकित्सा और प्राकृतिक चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में व्यावहारिक अनुभव भी मिलेगा। यह पहल प्रशिक्षित आयुष पेशेवरों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए की गई है। यह संस्थान भारत और विदेश से छात्रों को आकर्षित करेगा और गोरखपुर को आयुष शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनाएगा। इसके अलावा, विश्वविद्यालय अन्य आयुष संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करेगा। आधुनिक तकनीकों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए पारंपरिक चिकित्सा में नवाचार लाने पर जोर दिया जाएगा। फरवरी 2023 में, विश्वविद्यालय की आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) ने अपनी सेवाएं शुरू कीं, जिसमें आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी आधारित उपचार प्रदान किए जा रहे हैं। यह संकेत देता है कि जब विश्वविद्यालय पूरी तरह से कार्यात्मक होगा, तो यह स्थानीय समुदाय और छात्रों दोनों के लिए महत्वपूर्ण योगदान देगा। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को नई ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए तैयार है। यह परियोजना उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में एक नया अध्याय जोड़ेगी, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां पारंपरिक चिकित्सा सेवाओं की पहुंच बढ़ाई जा सकेगी। इसके साथ ही, यह भारत की प्राचीन स्वास्थ्य प्रणाली को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में भी योगदान देगा। 'तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा..', सीएम सिद्धारमैया ने ये क्या शर्त रख दी? 'संविधान तो इंदिरा के समय कांग्रेस ने बदला..', आरोपों पर गडकरी का करारा पलटवार DRDO ने किया देश की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परिक्षण