पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को एक क्षेत्रीय ताकत के रूप में तब्दील करने वालीं जमीनी स्तर की लोकप्रिय नेता महबूबा मुफ्ती का आज जन्म दिन है उनका जन्म २२ मई 1959 को अपने प्रख्यात पिता मोहम्मद मुफ़्ती सैयद और माँ गुलशन नजीर के यहाँ हुआ. जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री महबूबा ने वर्ष 1996 में कांग्रेस से जुड़कर मुख्यधारा की राजनीति में कदम रख दिया था. उस समय आतंकवाद अपने चरम पर था. पीडीपी के प्रसार का श्रेय महबूबा को दिया जाता है. पर्यवेक्षकों का तो यह तक मानना है कि आम जनता और विशेषकर युवाओं को अपने साथ जोड़ने के मामले में वह अपने पिता से भी आगे निकल गईं. बाद में पीडीपी ने अपनी पार्टी के झंडे के लिए हरे रंग का चयन किया और अपने चुनाव चिन्ह के रूप में उसने वर्ष 1987 के मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के कलम-दवात को ही चुना. एक-दूसरे से पूरी तरह विपरीत विचारधारा रखने वाले दो दलों पीडीपी और भाजपा के गठबंधन से गठित सरकार का नेतृत्व महबूबा के लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि वह अपने पिता की ‘मरहम लगाने की’ विरासत को आगे ले जाने की पूरी कोशिश कर रही है. दो बेटियों की मां महबूबा की छवि एक दबंग नेता की है और उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अपने गृहक्षेत्र बिजबेहड़ा से जीता था. महबूबा ने वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार बने अपने पिता की जीत में एक अहम भूमिका निभाई थी. दोनों पिता-पुत्री ने मिलकर वर्ष 1999 में अपनी क्षेत्रीय पार्टी पीडीपी की शुरूआत कर दी. उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस से नाराज कई नेताओं को अपने साथ लिया. महबूबा आतंकवाद से जुड़ी हिंसा में मारे गए लोगों के घर जाती थीं. महिलाओं को रोने के लिए अपना कंधा देकर उन्होंने लोगों की और खासतौर पर महिलाओं की नब्ज को छू लिया है . आतंकवाद से आहत मुफ़्ती लगातार पाक और भारत सरकार से अमन बहाली की गुहार लगा चुकी है. सीमा पर फिर दिखा पाक का दोगलापन, गोलीबारी जारी महबूबा मुफ्ती के घर के पास सैनिकों के हथियार लुटे रमजान के दौरान कश्मीर में सैन्य ऑपरेशन बंद रहेंगे