नई दिल्ली: भारत में अब देवाधिदेव भगवान शिव के हथियार के नाम पर एक रॉकेट सिस्टम विकसित किया जा रहा है. यह एक लंबी दूरी का गाइडेड रॉकेट सिस्टम है. जिसका नाम होगा महेश्वरास्त्र (Maheshwarastra). पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि महादेव के पास भी ऐसा ही हथियार था. जिसमें उनकी तीसरी आंख की शक्ति थी. वह किसी को भी जलाकर राख करने की ताकत रखता था. अब जो रॉकेट तैयार किया जा रहा है, उसे आप देसी हिमार्स (Desi HIMARS) भी कह सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, महेश्वरास्त्र को सोलर इंडस्ट्रीज नामक एक कंपनी विकसित कर रही है. कंपनी के अध्यक्ष सत्यानारायण नुवाल ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि ये सही है कि हमने इस हथियार का नाम भगवान शिव के अस्त्र से लिया है. इसकी ताकत भी वैसी ही होगी. यह गाइडेड रॉकेट सिस्टम है. हम इसके दो वर्जन विकसित कर रहे हैं. महेश्वरास्त्र-1 (Maheshwarastra-1) और महेश्वरास्त्र-2 (Maheshwarastra-2). पहले वर्जन की रेंज 150 किलोमीटर, जबकि दूसरे की रेंज 290 किलोमीटर होगी. सत्यनारायण नुवाल ने बताया है कि, यह वेपन डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जाएंगे. फिलहाल, इस प्रोजेक्ट पर 300 करोड़ रुपये लगे हैं और इसके डेवलपमेंट का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है. इसकी रफ़्तार ही इस हथियार की सबसे बड़ी मारक क्षमता है. यह आवाज की गति (Sound Speed) से चार गुना अधिक रफ़्तार से दुश्मन की तरफ लपकेगी. यानी 5680 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड. यानी एक सेकेंड में लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर पहुँच जाएगी. महेश्वरास्त्र-1 को आप देसी हिमार्स कह सकते हैं. वहीं, इसका दूसरा वर्जन ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) की टक्कर का होगा. जो दुश्मन को पलभर में ही नष्ट कर देगा. बता दें कि, अभी पिनाका गाइडेड रॉकेट सिस्टम (Pinaka Guided Rocket System) और सरफेस-टू-सरफेस मिसाइल (SSM) के बीच हथियार की थोड़ी कमी है. पिनाका की रेंज 75 किलोमीटर है, वहीं SSM 350 किलोमीटर रेंज का है. इन दोनों के बीच हथियार की कमी को ही महेश्वरास्त्र गाइडेड रॉकेट सिस्टम पूरा करेगा. सत्यनारायण नुवाल ने बताया है कि वास्तव में तो यह गाइडेड मिसाइल ही हैं, मगर हम इन्हें रॉकेट बुला रहे हैं. ये दोनों ही मल्टिपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम से दागे जाने वाले रॉकेट्स होंगे. इन्हें टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम के रूप में भी गिना जा सकता है. यह M142 HIMARS (High Mobility Artiller Rocket System) जैसा ही होगा. यानी भारत को ऐसे मल्टिपल रॉकेट सिस्टम खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी, और जो पहले से हैं, उन्हें अपडेट किया जाएगा. नए रॉकेट सिस्टम अपने देश में ही बनेंगे. इससे रक्षा क्षेत्र का खर्च बचेगा और देसी कंपनियों को फायदा मिलेगा. उन्होंने बताया कि, इन रॉकेट्स के ट्रायल्स डेढ़ साल बाद किए जाएंगे. यह हर तरह के मौसम में मार करने वाले रॉकेट्स होंगे. यानी आप किसी भी मौसम, किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में इन्हें दाग सकते हैं. इनमें पारंपरिक हथियार लगाए जाएंगे. जो सैन्य टुकड़ी, बंकर, टैंक, बख्तरबंद वाहनों को तबाह में मददगार होंगे. यदि इन रॉकेट्स को पाक या चीन सीमा पर तैनात कर दिया जाए, तो दुश्मन की हालत पस्त हो जाएगी. 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ बिलकिस बानो की याचिका सुप्रीम कोर्ट में ख़ारिज 'भगवा ब्रा पहनकर जवाब दो..', पठान के बचाव में महिलाओं से बोले कांग्रेस नेता, भड़का सोशल मीडिया हूरों के लिए मंदिर उड़ाना चाहता था मोहम्मद शरीक, पर कांग्रेस की नज़रों में वह 'आतंकी' नहीं