12 प्रमुख बंदरगाहों को स्वायत्तता मिलने से विदेशी व्यापार और रोजगार में होगी बढ़ोतरी

कैबिनेट ने भारत के 12 प्रमुख बंदरगाहों को स्वायत्तता प्रदान कर उनकी कार्यकुशलता एवं प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए 1963 के पुराने कानून की जगह पर नया मेजर पोर्ट अथॉरिटी बिल लाने का निर्णय लिया है। इसे संसद के मौजूदा बजट सत्र में ही पेश किया जा सकता है। वही इससे प्रमुख 12 बंदरगाहों के प्रबंधन को कार्यगत स्वायत्तता के साथ ही तेजी से निर्णय लेने की सहूलियत प्राप्त हो सकती है। इससे पहले इस बिल को 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था, जहां से उसे संसद की स्थायी समिति को भेज दिया गया था। 

परंतु पिछली लोकसभा के भंग होने के कारण यह लैप्स हो गया था। स्वायत्तता मिलने से बंदरगाह अधिक आधुनिक और कार्यकुशल हो सकते है। बंदरगाहों की हालत सुधरने का परिणाम देश के विदेश व्यापार में बढ़ोतरी के अलावा रोजगार वृद्धि के रूप में सामने आ सकता है। इससे घरेलू स्तर पर विश्व के सर्वश्रेष्ठ बंदरगाहों जैसे तौर-तरीके अपनाए जाने का रास्ता खुलेगा। वही बिल में 1963 के मेजर पोर्ट ट्रस्ट एक्ट की 134 धाराओं के मुकाबले केवल 76 धाराएं होंगी। इसमें मेजर पोर्ट की टैरिफ अथॉरिटी को नए सिरे से परिभाषित करते हुए उसे टैरिफ या दरें तय करने का अधिकार दिया गया है। 

पीपीपी परियोजनाओें की बोली लगाते वक्त इसी टैरिफ का उल्लेख संदर्भ के तौर पर किया जा सकता है। पोर्ट अथॉरिटी के बोर्डस को जमीन समेत अन्य पोर्ट सेवाओं एवं परिसंपत्तियों की दरें तय करने का अधिकार हो सकता है। राष्ट्रीय हित, सुरक्षा तथा आपात स्थितियों को छोड़कर बोर्ड किसी के भी साथ अनुबंध तथा विकास की योजनाएं तैयार व कार्यान्वित कर सकते है। इससे सभी बंदरगाहों के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।

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