दिल्ली : मकर संक्रांति के पावन पर्व पर आज सुबह से ही देश भर में धूम मची हुई है. लोग सुबह से ही नदियों पर स्नान करने पहुंच रहे है. साथ ही युवा भी पतंग बाजी के लिए सुबह से छत पर जमा हो चुके है और पतंग बाजी कर रहे है. वहीं बच्चियां गल्ली डंडा खेल रही है बता दें कि मकर संक्रांति को अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. जैसे तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी और असम में बीहू कहा जाता है. इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम बड़े नेताओं ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी है जो अलग -अलग भाषाओं में अलग -अलग है. इस मौके पर राष्ट्रपति कोविंद ने सुबह ट्वीट कर सभी देशवासियों को बधाई देते हुए लिखा है कि यह त्योहार हमारे अनगिनत किसानों की कड़ी मेहनत और लगन का उल्लास मनाने का अवसर है. आज का दिन हम सबके जीवन में आनंद, स्वास्थ्य और ख़ुशियां लाए. वहीं पीएम मोदी ने देशवासियों को बधाई देते हुए ट्वीट किया कि'मकर संक्रांति के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को ढेरों बधाई'. इसके अलावा उन्होंने देशवासियों को पोंगल, बिहु और उत्तरायन की भी शुभकामनाएं दीं. गुजरात, राजस्थान, यूपी सहित उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में मकर संक्रांति मनाई जा रही है वहीं मुंबई में दक्षिण भारत से आए लोग पोंगल मना रहे है क्योंकि मुंबई के सॉयन-कोलीवाड़ा इलाके में दक्षिण भारतीयों बड़ी तादाद में रहते है. वहीं आंध्रप्रदेश में भी लोग पोंगल मनाते है बताया जाता है कि पोंगल के पहले दिन को भोगी कहते है. उधर इलाहाबाद में माघ मेला चल रहा है वहीं मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा के तट पर स्नान करने वालों के मेले लगे हुए हैं. इसके पीछे पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भागीरथ गंगा को जमीन पर लाए थे. बता दें कि मकर संक्रांति के मौके पर आज देश के लोगों ने ही नहीं बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं ने गंगा नदी के संगम में डुबकी लगाई. इसके लिए देशभर से करीब 20 लाख श्रद्धालु बंगाल की खाड़ी में स्थित गंगासागर में पुण्य स्नान के लिए एकत्रित हुए हैं. पंजाब में लोग ने मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहिणी मनाते हैं.जो शनिवार को धूमधाम से मनाया गया है. वहीं जम्मू कश्मीर के पुंछ से बीएसएफ के जवानों भी लोहिणी मनाई है जिनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई है. चार अस्थाई महिला टीचर्स ने मुंडवाया अपना सिर अखिलेश देंगे किसान विरोधियों को यशभारती ! श्रीलंका के उपकप्तान बने सुरंगा लकमल