दिल्ली : आज देश के अलावा विदेशों में भी संक्रान्ति का पावन पर्व मनाया जा रहा है और इस मौके पर घरों से तिल की महक आ रही है जो लोगों के जीवन को महका रही है. यह पर्व हर साल 14 जनवरी को आता है. लोगों के जीवन में कई प्रकार की खुशियां लाता है. वहीं पंजाबियों का त्योहार लोहड़ी इसके एक दिन पहले आता है. वहीं इस त्योहार को भारत में अलग -अलग नाम और रूपों में मनाया जाता है जैसे बिहार में इसे खिचड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, असम में बिहू कहा जाता है. संक्रांति के दिन लोग जल्दी उठकर सूर्य को अर्घ्य देकर उनके प्रति आभार जता रहे हैं. इस त्योहार की एक दूसरे को बधाई दे रहे है, खिचड़ी खिलाकर, तिल के लड्डू का आदान-प्रदान कर रहे हैं. आज ही के दिन देश के कई राज्य में पतंगबाजी का आयोजन किया गया है. जिसको देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते है. वहीं लोग सुबह जल्दी उठ गए और स्नान कर मंदिरों में गए. घरों में घी में तले काजू, बादाम और इलायची की खूशबू आ रही थी क्योंकि पारंपरिक पकवान चावल की खिचड़ी, गुड़-तिली के लड्डू और चने की दाल बनाई जा रही थी, और परिवार वालों को खिलाई जा रही थी. हर त्योहार को सिर्फ खुशी या फिर रीति-रिवाज के लिए नहीं मनाया जाता है बल्कि इसके पीछे स्वास्थ्य का लाभ भी जुड़ा होता है. मकर संक्रांति उन्हीं में से एक है. हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर आज ही के दिन जाते हैं. इसलिए इस दिन को मकर संक्रान्ति कहा जाता है वहीं महाभारत में बताया है कि इस दिन भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागी थी. वहीं मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं. पतंगों से दे रहे स्वास्थ्य संदेश देश में मकर संक्रांति की धूम, महामहिम कोविंद और पीएम मोदी ने दी बधाई बूंदी में धूमधाम से मनाया गया लोहड़ी पर्व