जनवरी की 14 तारीख को मकर संक्रांति का त्यौहार सम्पूर्ण भारत में हर्षौल्लास के साथ मनाया जाएगा. यह त्यौहार जब सूर्य उत्तरायण होता है और मकर राशि में प्रवेष करता है तो मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन सभी घरों में तिलों के व्यंजन और खिचड़ी बनाई जाती है. मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है इस त्यौहार का महत्व क्या है आज हम इसी विषय पर आपको जानकारी प्रदान करेंगे? आज से लगभग 80 वर्ष पूर्व इस त्यौहार को 12 या 13 जनवरी को मनाया जाता था जो की उस समय के पंचांगों पर निर्भर था किन्तु अब यह त्यौहार 13, 14 जनवरी को मनाया जाता है जब सूर्य उत्तरायण होता है तथा खरमास समाप्त होता है. मकर संक्रांति का पुण्यकाल मकर संक्रांति का त्यौहार 14 जनवरी 2018 को मनाया जाएगा जिसका पुण्यकाल 15 जनवरी 2018 को रहेगा. तथा इसका विशेष पुण्यकाल 14 जनवरी को रात्री 8 बजकर 8 मिनिट से 15 जनवरी दोपहर 12 बजे तक रहेगा. मकर संक्रांति का महत्व शास्त्रों के अनुसार दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि या नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन या सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानते है. इसी कारण से मकर संक्रांति के दिन जब सूर्य उत्तरायण होता है तो जप, ताप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि सभी धार्मिक कार्यों को किया जाता है इस दिन दान का बहुत महत्व होता है ऐसी मान्यता है की इस दिन किया गया दान का पुण्य सौ गुना अधिक मिलता है तथा यदि व्यक्ति घी का दान करे तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है. दिन बड़े रात छोटी मकर संक्रांति के दिन से सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध से उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश करता है जिसके कारण दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती है. और ऋतु परिवर्तन प्रारंभ हो जाता है. मानो या न मानो कर्म फल का यह नियम पूर्णतः सत्य है आप भी जान लें की आखिर कैसे नंदी बैल, भगवान शिव तक पहुंचे? आप भी जान लें आखिर कहाँ से हुई सूर्यदेव को जल अर्पित करने की शुरुआत कार्य को करने से पहले दर्शन कर लें इन 4 चीजों के निश्चित ही मिलेगी सफलता