दुनियाभर में कई त्यौहार मनाए जाते हैं. ऐसे में पोंगल का त्यौहार दक्षिण भारत का प्रमुख पर्व माना जाता है और उत्तर भारत में जहां, मकर संक्रांति मनाई जाती है वहीं दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में हिंदू परिवार धूमधाम से पोंगल का पर्व मनाते हैं. आप सभी को बता दें कि चार दिन तक मनाया जाने वाला यह पर्व मुख्‍य रूप से कृषि पर्व है, जिसमें सूर्य की उपासना की जाती है. कहते हैं पोंगल सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का प्रतीक है. आप सभी को बता दें कि इस बार पोंगल का पर्व 15 जनवरी से 18 फरवरी तक मनाया जाने वाला है. ऐसे में तमिलनाडु के लोग फसल के पर्व पोंगल को उल्लास के साथ मनाते हैं और वर्षा, सूर्य व मवेशियों के प्रति आभार जताते हैं. लोग सुबह जल्दी उठकर नए कपड़े पहनते हैं और मंदिरों में जाकर भगवान की आराधना करते हैं. आप सभी को बता दें कि इस दौरान घी में तले काजू, बादाम और इलायची की खूशबू से पूरा घर महक उठता है क्योंकि चावल, गुड़ और चने की दाल से पारंपरिक पकवान तैयार किया जाता है. आप सभी को बता दें कि चकराई पोंगल की सामग्री दूध में उबाल कर लोग 'पोंगलो पोंगल', 'पोंगलो पोंगल' बोलते हैं और तमिल भाषा में पोंगल का मतलब है अच्‍छी तरह उबालना, चावल, गुड़ और दाल से बने इस भोग को अच्‍छी तरह उबालकर भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है. वहीं भगवान सूर्य के प्रति आभार जताने के लिए उन्हें पोंगल के पकवान का भोग लगाया जाता है, जिसके बाद उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे को पोंगल की बधाई देते हैं और चकराई पोंगल का आदान-प्रदान करते हैं. 4 दिनों तक मनाया जाता है पोंगल का त्यौहार, जानिए पौराणिक कथा 4 दिनों तक मनाया जाता है पोंगल का त्यौहार, आइए जानते हैं उनके बारे में इन ख़ास संदेशों से दें अपने प्रियजनों को पोंगल की शुभकामनाएं