हिंदू धर्म में 108 अंक का बेहद विशेष महत्व है। इस अंक का प्रयोग प्रत्येक जप में होता है। बिना इस नंबर के कोई भी मंत्रोच्चारण पूरा नहीं होता है। परन्तु क्या आपको पता है आखिर मंत्र पढ़ते समय यही अंक इतना जरूरी क्यों होता है। आज हम आपको इसकी अहम वजह के बारे में बताएंगे। 1. अंक 108 का संबंध महज आध्यात्म से ही नहीं बल्कि विज्ञान से भी है, क्योंकि साइंस के अनुसार सूर्य एक वर्ष में लगभग 216000 कलाएं बदलता है। इस दौरान साल में दो बार सूर्य की स्थिति भी बदलती है। वही लिहाजा सूर्य हर 6 महीने में 108000 कलाएं पूरी करता है। इसमें 108 अंक मौजूद है।2. विज्ञान के एक अन्य तर्क के अनुसार एक स्वस्थ मनुष्य दिन में 21600 बार सांस लेता है। नतीजतन हर 12 घंटे में 10800 श्वांस। इसलिए इसका संबंध भी 108 अंक से है। 3. ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक ब्रम्हांड को 12 भागों में बांटा गया है, जिसे हम 12 राशियों के तौर पर जानते हैं। इन्हीं 12 राशियों में ही 9 ग्रह घूमते रहते हैं। अगर 12 राशियों और 9 ग्रहों को गुणा किया जाए तो हमें 108 अंक प्राप्त होता है। वही लिहाजा जप में 108 दाने नवग्रहों को दर्शाते हैं।4. ज्योतिष शास्त्र और अन्तरिक्ष विज्ञान में नक्षत्रों की संख्या 27 बताई गई है। इनके तहत वर्ष भर में हर एक नक्षत्र के 4 अलग अलग चरण होते है। ऐसे में 27 नक्षत्रों को 4 से गुणा करने पर 108 अंक ही आता है। 5. मंत्रोचारण के समय माला में 108 अंक होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे जप की गिनती सही रहती है। वही माला में हमेश ऊपरी भाग में एक बड़ा दाना होता है जिसे 'सुमेरु' कहते हैं। इसका विशेष महत्व माना जाता है। इसी से जप की एक प्रक्रिया पूरी होने पर दूसरी शुरू की जाती है। 6. ज्योतिष शास्त्र में सुमेरू का विशेष महत्तव है। उनके मुताबिक ये ब्रम्हांण की ये सर्वोच्च स्थिति होती है। तभी तो जप की एक माला पूरी होने पर इसे मस्तक से लगाकर स्पर्श किया जाता है। इस दौरान अपने ईष्ट देव का ध्यान किया जाता है। इससे मंत्रोचारण का पूर्ण लाभ मिलता है।7. वैसे तो जप के लिए किसी भी माला का प्रयोग किया जा सकता है, परन्तु रुद्राक्ष की माला सबसे अच्छी मानी जाती है। क्योंकि ये वातावरण में चुंबकीय और विद्युतीय के साथ कीटाणुनाशक तरंगें भी निकलती हैं। जिससे साधक के आस-पास नेगेटिक शक्तियां नहीं फटकती है।8. रुद्राक्ष के अलावा आप तुलसी, वैजयंती, स्फटिक और मोतियों की माला से भी जप कर सकते हैं। जप से मन को शांति मिलती है। जिससे एकाग्रशक्ति बढ़ती है। इन 4 राशि के जातक होते है भाग्यशाली, कभी भी नहीं होती धन की कमी माघ मेला 2020: जानिये कल्पवास का महत्व और मन्त्र क्यों केवल मृत्यु के समय ही किया जाता है गरुड़ पुराण का पाठ