नई दिल्ली: मालदीव में राजनीतिक तनाव दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है. हाल ही में वहां सुप्रीम कोर्ट ने मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन के सामने घुटने टेकते हुए अपना फैसला वापिस ले लिया है. सोमवार को अब्दुल्ला यमीन की ओर से देश में आपातकाल घोषित किया गया था. जिसके 24 घंटों के अंदर ही मालदीव में राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के बीच काफी उथल -पुथल मची. आपातकाल लगते ही राष्ट्रपति के आदेश से सुरक्षाबल सुप्रीमकोर्ट में जबरदस्ती घुस गए और उन्होंने चीफ जस्टिस समेत एक और बड़े जज को बंदी बना लिया. दो जजों की गिरफ्तारी के बाद शेष बचे 3 जजों ने बयान जारी कर ऐलान किया कि वे 9 राजनीतिक बंदियों की रिहाई करने के आदेश को निरस्त कर रहे हैं. हैरानी वाली बात यह रही कि यह फैसला चीफ जस्टिस की गिरफ़्तारी के बाद उनकी गैरमौजूदगी में लिया गया. इन राजनीतिक बंदियों में भारत के समर्थक माने जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद भी शामिल हैं. वहीं मौजूदा राष्ट्रपति यामीन के रिश्ते में भाई लगने वाले पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गयूम को भी उनके घर में नजरबंद कर दिया गया है. आपको बता दें कि 1 फरवरी को मालदीव की शीर्ष अदालत के 5 सदस्यीय जजों ने अपना फैसला सुनाते हुए 9 राजनीतिक नेताओं को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसे मौजूदा राष्ट्रपति द्वारा मानने से इंकार कर दिया गया. इसके बाद से ही मालदीव में सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के विवादों के चलते तनावग्रस्त हालात हैं. ताइवान में फिर आया भूकंप, एक होटल तबाह सिक्यूरटी गार्ड भिड़ा लुटेरों से कुलभूषण की फांसी पर आमादा पाक की नई साजिश