नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुजरात के विधानसभा चुनावों में मिली शिकस्त के कारणों का पता लगाने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। लेकिन, कांग्रेस के अंदर ही कई नेता दबी जुबान में इसका विरोध करने लगे हैं। गुजरात कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि, हार का कारण सबको पता है। हम पूरी ताकत के साथ चुनाव नहीं लड़े, इसलिए हारे। इसमें किसी समिति के गठन करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जहां तक समिति का संबंध है, इससे पहले शिकस्त के कारणों की जांच के लिए गठित किसी समिति की सिफारिशों पर कोई अमल नहीं किया गया है। ऐसे में इस समिति का भी कोई लाभ नहीं होगा। बता दें कि गुजरात विधानसभा चुनाव में इतिहास का अपना सबसे शर्मनाक प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस अब हार का कारण खोजने की कोशिश कर रही है। खड़गे ने 3 सदस्यीय समिति गठित की है, जो गुजरात में मिली हार की जानकारी एकत्रित करेगी। दरअसल, इससे पहले अध्यक्ष रहते हुए सोनिया गांधी भी चुनावों में पार्टी की पराजय के बाद यही उपाय करती रही हैं। मगर, एक बार के अलावा कभी इस समिति की रिपोर्ट हाईकमान के साथ साझा नहीं की गई। बहरहाल, खड़गे द्वारा बनाई गई समिति से दो हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है और साथ ही सुधार के लिए सुझाव देने के लिए भी कहा गया है। पार्टी की ओर से जारी किए गए बयान में कहा है कि खड़गे ने महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री नितिन राउत को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके साथ बिहार के शकील अहमद खान और सांसद सप्तगिरि उलका को सदस्य नियुक्त किया है। यह समिति दो हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सौंपेगी। पार्टी को गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में महज 17 सीटें मिलीं। जबकि भाजपा ने 156 सीटों पर कब्जा करते हुए ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। क्या कहता है कांग्रेस समितियों का इतिहास:- वर्ष 1999 में लोकसभा में मिली शिकस्त के बाद सोनिया गांधी ने पहली दफा समिति का गठन किया था। 11 सदस्यीय समिति की अध्यक्षता एके एंटनी के हाथों में थी। इसके अलावा मणि शंकर अय्यर, मोतीलाल वोरा, पीएम सईद और पीआर दासमुंशी इस समिति के सदस्य थे। बताया जाता है कि इन नेताओं ने हाईकमान को संगठन स्तर पर परिवर्तन करने का सुझाव दिया था, मगर उसपर अमल नहीं किया गया। इसके बाद एके एंटनी को 2008, 2012 और 2014 के चुनावों में मिली हार के बाद भी यही जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि, इसी समय से शीर्ष नेताओं सहित किसी ने भी रिपोर्ट्स के बारे में कुछ नहीं सुना। 2021 में भी असम, केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में कांग्रेस की हार के बाद कारणों का पता लगाने के लिए समिति बनाई गई थी। एक वरिष्ठ नेता ने बताया था कि 2021 पैनल ने हर राज्य की अलग-अलग रिपोर्ट्स पेश की थी। लेकिन, उनपर भी अमल नहीं हो पाया। बता दें कि सोनिया गांधी ने पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर की शिकस्त के बाद कोई समिति नहीं बनाई। बताया समितियां इसलिए नहीं बनाई गई, क्योंकि यूपी और पंजाब के चुनावों में गांधी परिवार की बड़ी भूमिका थी और उनकी गलतियां कांग्रेस में कौन निकाल सकता था। अब अखिलेश यादव हुए PM मोदी के मुरीद, की इस फैसले की तारीफ 'नागा साधू और दिगम्बर जैन भी तो कपड़े नहीं पहनते..', राहुल की टीशर्ट पर बोले सीएम बघेल 'अगर ये अश्लील सीडी सामने आई तो सबसे ज्यादा आंच गृह मंत्री पर पड़ेगी', जीतू पटवारी का बड़ा बयान