माल्या के कर्ज मामले में गोलमोल ज़वाब

नई दिल्ली : जब सरकार किसी मामले में फंसती नजर आती है , तो सूचना के अधिकार के तहत पूछे जाने वाले सवालों का प्रायः गोलमोल ज़वाब देती है. ऐसा ही एक बार फिर भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या के मामले में सामने आया जब वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय सूचना आयोग से कह दिया कि उसके पास उद्योगपति विजय माल्या को दिये गए कर्ज के बारे में सूचना नहीं है.

उल्लेखनीय है कि विजय माल्या के कर्ज से जुड़ा सवाल आवेदक राजीव कुमार खरे ने सूचना आयोग से पूछा था .इस पर आयोग ने वित्त मंत्रालय से ज़वाब माँगा जिसके प्रत्युत्तर में वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय सूचना आयोग से कह दिया कि उनके पास माल्या को विभिन्न बैंकों द्वारा दिये गए कर्ज या इन कर्ज के बदले में माल्या द्वारा दी गई गारंटी के बारे में सूचना नहीं है, जबकि रिकार्ड कहता है कि मंत्रालय ने अतीत में इस बारे में सवालों का संसद में जवाब दिया था.

 केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने 17 मार्च 2017 को माल्या से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि 'माल्या को 2004 में कर्ज दिया गया था और फरवरी 2008 में उसकी समीक्षा की गई.इस खुलासे के बाद असंतुष्ट सूचना आयोग ने वित्त मंत्रालय के अधिकारी से कहा कि आवेदक के आवेदन को उचित लोक प्राधिकारी को स्थानांतरित किया जाए.

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