कोलकाता: पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कलियागंज में कथित तौर पर दुष्कर्म के बाद हत्या किए जाने के मामले को ‘प्रेम प्रसंग’ से जुड़ा हुआ करार दिया है। अपने दावे की पुष्टि के लिए सीएम ममता ने व्हाट्सऐप मैसेज को सबूत बनाया है। नबन्ना (राज्य सचिवालय) में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने दावा किया कि, 'हमें यह सब जानकर काफी दुख हुआ, मगर हमने व्हाट्सऐप मैसेज देखे हैं… यह प्रेम प्रसंग से संबंधित मामला है। डॉक्टरों ने भी कहा कि उसने (नाबालिग ने) जहर खाया था। यह एक ख़ुदकुशी का मामला है। पुलिस इसकी छानबीन कर रही है।' यानि, मामले की जांच अभी शुरूआती चरण में ही है, और इसी बीच सीएम ममता बनर्जी इस तरह के दावे कर बलात्कार जैसे संवेदनशील मुद्दे से अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास कर रहीं हैं। बता दें कि, पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर जिले के कलियागंज में 21 अप्रैल की सुबह एक 17 वर्षीय दलित लड़की का शव नहर में तैरता हुआ मिला था। पीड़िता के परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा था कि किशोरी की हत्या करने से पहले उसके साथ बलात्कार किया गया है। इसके विरोध में स्थानीय लोगों ने सड़क जाम कर दी थी और टायर जलाए थे। वहीं, इस मामले में जब भाजपा स्थानीय लोगों के साथ विरोध करने के लिए उतरी, तो उसके एक कार्यकर्ता मृत्युंजय बर्मन की हत्या कर दी गई, जिसका आरोप भी बंगाल पुलिस पर लगा है। वहीं, उत्तरी दिनाजपुर जिले में बीते हफ्ते नाबालिग लड़की की लाश को सड़क पर घसीटने के आरोप में 4 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। सस्पेंड किए गए चारों पुलिसकर्मी सहायक उप निरीक्षक (ASI) के पद पर कालियागंज और रायगंज थाने में पदस्थ थे। इन पुलिसकर्मियों का शव को घसीटते हुए वीडियो भी वायरल हुआ था। पीड़ित परिवार पहले ही कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर घटना की CBI जांच की मांग कर रहा है। उनका आरोप है कि, बंगाल पुलिस सही तरीके से जांच नहीं कर रही है। लड़की के साथ दुष्कर्म करने और उसकी हत्या करने का आरोप जावेद अख्तर पर लगा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लड़की 20 अप्रैल को ट्यूशन से घर लौटते हुए बीच रास्ते से लापता हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में जावेद अख्तर समेत दो लोगों को अरेस्ट किया था, ये लोग पीड़िता को जानते थे। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है। हालाँकि, सीएम ममता इसे प्रेम प्रसंग का मामला बता रही हैं, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि, ऐसा पहली बार नहीं है, जब ममता बनर्जी ने ऐसा दावा किया हो। इससे पहले भी वह पीड़ितों पर उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए झूठ बोलने का इल्जाम तक लगा चुकी हैं। सुज़ेट जॉर्डन रेप केस:- 6 फरवरी, 2012 को एक एंग्लो-इंडियन महिला सुज़ेट जॉर्डन (Suzette Jordan) जब कोलकाता के पार्क स्ट्रीट से घर वापस आ रही थी, इसी बीच 5 लोगों ने चलती कार में उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। यह खबर सामने आने के फ़ौरन बाद सीएम ममता बनर्जी ने आरोपितों को क्लीनचिट दे दी थी। उन्होंने इस घटना को मनगढ़ंत कहानी बताया था। सीएम ममता ने कहा था कि, यह सब सिर्फ उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए किया गया था। इतना ही नहीं एक न्यूज चैनल से बात करते हुए ममता की पार्टी की सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने पीड़िता के चरित्र पर ही सवाल खड़े कर दिए थे और दुष्कर्म के एंगल से भी इनकार कर दिया था। वहीं, बंगाल के तत्कालीन परिवहन मंत्री ने भी पीड़िता के चरित्र पर सवाल खड़े करते हुए उसकी शिकायत को फर्जी करार दिया था। किन्तु, इस घटना के 3 वर्ष बाद 2015 में कोलकाता की एक कोर्ट ने पार्क स्ट्रीट मामले में दुष्कर्म के आरोपों को बरकरार रखा और आरोपित नासिर खान, रुमान खान और सुमित बजाज को दोषी करार दिया था। कटवा रेप केस:- 2012 के बर्दवान के कटवा में एक और मामले में ममता बनर्जी ने जाँच पूरी होने से पहले ही दुष्कर्म के आरोपों को नकार दिया था। उन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि, 'एक सियासी दल यह सब कर रहा है, बलात्कार-बलात्कार चिल्ला रहा है। ये पश्चिम बंगाल का नाम खराब करने के लिए ड्रामा कर रहे हैं।' इस मामले में भी बाद में नयन शेख और फरीद शेख नामक आरोपितों को अरेस्ट किया गया था, जो ममता जो पार्टी TMC के नेता थे। हालाँकि, सबूतों के आभाव में वे कोर्ट से बरी कर दिए गए थे। 2013 में बंगाल में दुष्कर्म के बढ़ते मामलों के बारे में राज्य विधानसभा में एक बहस के दौरान सीएम ममता ने कहा था कि यह राज्य की जनसंख्या में वृद्धि की वजह से है। उन्होंने दुष्कर्म के बढ़ते मामलों के लिए आधुनिकीकरण, शॉपिंग मॉल और मल्टीप्लेक्स में वृद्धि को भी जिम्मेदार बताया था। नदिया रेप केस:- अप्रैल 2022 में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के हंसखली में एक नाबालिग लड़की की जन्मदिन की पार्टी में सामूहिक दुष्कर्म के बाद मौत हो गई थी। लड़की के परिवार ने दावा किया था कि इस मामले में मुख्य आरोपित तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक पंचायत सदस्य का बेटा है, जिसे पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। वहीं, सीएम ममता बनर्जी ने परिवार के सामूहिक दुष्कर्म के दावे पर ही सवाल उठा दिए थे। सीएम बनर्जी ने कहा था कि, 'आपको कैसे पता कि उसके साथ बलात्कार हुआ, क्या वो प्रेग्नेंट थी ? या लव अफेयर का मामला था या फिर वह बीमार थी।' सीएम ममता ने यह भी कहा था कि, 'यदि कपल रिलेशनशिप में है तो हम उन्हें कैसे रोक सकते हैं। यह उत्तर प्रदेश नहीं है कि मैं लव जिहाद के नाम पर ऐसा कर सकती हूँ।' यह मामला जब कोलकाता हाई कोर्ट में गया था तो, अदालत ने जोर देते हुए कहा था कि, बंगाल पुलिस ने इस केस में कई आवश्यक सबूत इकट्ठा ही नहीं किए। इस बात पर भी अदालत ने नाराजगी जताई थी कि पुलिस द्वारा पीड़िता के घर से खून से सनी हुई बेडशीट ही जब्त नहीं की गई, साथ ही पीड़िता का अंतिम संस्कार भी जल्दबाजी में कर दिया गया, जिसके कारण कई अहम सुराग छूट गए। जिसके बाद इस मामले को CBI को सौंपा गया था और केंद्रीय जांच एजेंसी ने जांच करते हुए इस मामले में 9 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी और TMC के पंचायत नेता को अरेस्ट किया था। हालाँकि, इस मामले पर अभी कोर्ट का फैसला नहीं आया है। इन सभी मामलों को देखने के बाद ये सवाल उठता है कि आखिर एक महिला होने के बावजूद सीएम ममता बनर्जी बलात्कार के मामलों पर इतनी जल्दबाज़ी क्यों दिखाती हैं और ऐसे असंवेदनशील बयान क्यों दे देती हैं, जो पीड़ित परिवार के जख्मों पर नामक छिड़कने वाले हों ? 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