कोलकाता: पश्चिम बंगाल में पांच दशक के बाद एक बार पुनः विधान परिषद का गठन किया जा रहा है. TMC सुप्रीमो व सीएम ममता बनर्जी ने सोमवार को कैबिनेट की बैठक में विधान परिषद बनाने के चुनावी वादे को स्वीकृति दे दी. इसे अब गवर्नर के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद विधानसभा से पारित कराकर राज्य की तृणमूल सरकार यह प्रस्ताव संसद की स्वीकृति हेतु केंद्र सरकार के पास भेजेगी. ऐसे में यदि केंद्र की मोदी सरकार इसे मंजूरी नहीं देती है तो बंगाल की ममता सरकार के साथ तनाव की स्थिति बन सकती है. बता दें कि ममता बनर्जी ने हाल ही में संपन्न पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान कई कई नेताओं को उम्र के कारण टिकट सूची से बाहर रखा था, जिन्हें विधान परिषद सदस्य बनाए जाने का वादा किया था. बता दें कि पश्चिम बंगाल में अभी 294 सदस्यीय विधानसभा है, किन्तु राज्य में विधान परिषद की व्यवस्था नहीं है. बता दें कि लगभग 50 साल पहले पश्चिम बंगाल में विधान परिषद हुआ करती थी, किन्तु 21 मार्च 1969 को विधान परिषद को ख़त्म करने के लिए राज्य विधानसभा द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके बाद राज्य सरकार ने इसे संसद से पारित कराने के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा है. संसद में पश्चिम बंगाल विधान परिषद (उन्मूलन) अधिनियम, 1969 को 1 अगस्त 1969 से लागू कर विधान परिषद को ख़त्म कर दिया गया. भाकपा के राष्ट्रीय सचिव के नारायण ने वाईएसआरसीपी के बागी सांसद के रघुराम कृष्ण राजू की गिरफ्तारी पर हुआ खुलासा अगले हफ्ते से 14 भाषाओँ में उपलब्ध होगा कोविन पोर्टल, GoM की बैठक में हुआ ऐलान इस म्यूजियम दिवस पर हुआ बड़ा एलान, हस्तिनापुर में बनाया जाएगा संग्रहालय