कोलकाता: इमाम, मुअज्जिन और पुजारियों के वेतन में बढ़ोतरी के ममता बनर्जी के फैसले पर विवादों के बीच, बंगाल कांग्रेस इकाई के नेता कौस्तव बागची ने एक मुस्लिम विधायक को उपमुख्यमंत्री या गृह मंत्री नियुक्त करने की मांग की है। एक फेसबुक पोस्ट में बागची ने बिना किसी का नाम लिए सीएम ममता बनर्जी को एक मुस्लिम को राज्य का उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने की चुनौती दी है। बागची ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों की भलाई के बारे में सिर्फ दिखावा करने के लिए ममता बनर्जी की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि, यदि वह मुस्लिम अल्पसंख्यकों की बेहतरी के प्रति गंभीर हैं तो उन्हें किसी मुस्लिम को उप मुख्यमंत्री नियुक्त करना चाहिए। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जब से कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) राष्ट्रीय स्तर पर NDA और मोदी का मुकाबला करने के लिए I.N.D.I.A में शामिल हुईं हैं, पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने एक विपक्षी दल के रूप में अपनी सारी विश्वसनीयता खो दी है। साथ ही प्रदेश कांग्रेस का ममता विरोधी चेहरा कौस्तव बागची भी खामोश हो गये हैं। सियासी पंडितों का मानना है कि अचानक बागची ने राजनीतिक क्षेत्र में प्रासंगिक बने रहने के लिए ही यह टिप्पणी की है। हालांकि, पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक इस मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. गौरतलब है कि कौस्तव बागची पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य और प्रवक्ता हैं। इन वर्षों में, वह ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार और उनकी नीतियों के खिलाफ बहुत मुखर रहे। ममता ने बढ़ाया इमाम-पुजारियों का वेतन:- बता दें कि, हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने इस्लामिक मौलवियों (इमाम) और हिंदू पुजारियों (पुरोहितों) के मासिक मानदेय में 500 रुपए की वृद्धि की घोषणा की है। बढ़ा हुआ भत्ता अब इमामों के लिए 3000 रुपए (पहले 2500) और पुरोहितों के लिए 1500 रुपए (पहले 1000) हो गया है। इसके अतिरिक्त, इस्लामी प्रार्थना (अज़ान) के लिए जिम्मेदार मुस्लिम व्यक्तियों, जिन्हें मुअज़्ज़िन के रूप में जाना जाता है, को 1500 रुपए का मासिक मानदेय मिलेगा, जो उन्हें हिंदू पुजारियों के बराबर लाएगा। कौस्तव बागची के बयान और ममता बनर्जी के फैसले को आप देखें तो पाएंगे कि, इमामों को 3000 रुपए वेतन मिलता है, जबकि पुजारियों को 1500। अब गौर करने वाली बात यह है कि, अधिकतर बड़े मंदिर सरकार के आधीन हैं, यानी उन्हें मिलने वाले दान आदि पर सरकार और ट्रस्ट का नियंत्रण है, जबकि मस्जिदों और चर्चों को मिलने वाले डोनेशन में सरकार का कोई दखल नहीं है। यानी, इमामों को बाहर से दान भी मिलेगा और सरकार से 3000 भी, जबकि पुजारियों को 1500 में गुजारा करना होगा। लेकिन, इसके बावजूद कांग्रेस नेता कौस्तव बागची को 'चिंता' किसकी है ? वो अब भी यह आरोप लगा रहे हैं कि, सीएम ममता, मुस्लिमों की भलाई का दिखावा कर रहीं हैं, और उन्होंने चुनौती भी दी है कि यदि ममता सचमुच मुस्लिम हितैषी हैं, तो किसी मुसलमान को डिप्टी सीएम बनाकर दिखाएं। बाकी 1500 रुपए ले रहे हिन्दू पुजारियों को तो छोड़ ही दीजिए, वो किसी का वोट बैंक नहीं, न तो TMC उनकी बात करेगी और न कांग्रेस। 'आपने तो डोकलाम विवाद के समय चीनी राजदूत के साथ गुपचुप खाना खाया था..' , राहुल गांधी के आरोप पर भाजपा का करारा पलटवार जबलपुर में बहनों ने बाँधी CM शिवराज को राखी, भावुक हुए मुख्यमंत्री बोले - 'मेरी जान भले ही चली जाए, लेकिन...' 'अदालत से बचने का कोई विकल्प नहीं..', गुजरात हाई कोर्ट के खिलाफ SC पहुंचे थे सीएम केजरीवाल, ख़ारिज हुई याचिका