नई दिल्ली: शीर्ष अदालत में कॉलेजियम को लेकर न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है। वहीं विपक्ष ने भी इस पर सियासी बयानबाज़ी शुरू कर दिया है। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बयान जारी करते हुए कहा है कि, हम न्यायपालिका की पूरी तरह स्वतंत्रता चाहते हैं। अब नई तरह की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत यदि केंद्र सरकार को शीर्ष अदालत के कॉलेजियम में शामिल कर लिया जाता है, तो सूबे भी स्पष्ट रूप से अपने CM या सरकार के प्रतिनिधि को कॉलेजियम में शामिल करेगा, मगर आखिर में नतीजा क्या होगा? दरअसल, केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी।वाई। चंद्रचूड़ को पत्र लिखते हुए सुझाव दिया था कि सरकार के प्रतिनिधियों को भी सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में शामिल किया जाना चाहिए। इससे 25 वर्ष पुराने कॉलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही आएगी। ममता ने उदाहरण देते हुए समझाया कि मान लीजिए कलकत्ता उच्च न्यायालय के कॉलेजियम की सिफारिश को सर्वोच्च न्यायालय भेजते हैं, तो अब सुप्रीम कोर्ट इसे भारत सरकार को भेजेगा। ममता ने आगे कहा कि, अब राज्य सरकार की अनुशंसा का कोई मूल्य नहीं रह जाएगा और अंत केंद्र सरकार न्यायपालिका में सीधे दखल देगी, जो कि हम नहीं चाहते। हम सभी के लिए इंसाफ चाहते हैं। स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए इंसाफ की मांग करते हैं। न्यायपालिका हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण मंदिर है। नारे लगाते हुए भाजपा नेता को आया हार्ट अटैक, मौत की खबर सुनकर रो पड़े केंद्रीय मंत्री 'आपको मेरा गला काटना पड़ेगा..', पत्रकारों से बात करते हुए ऐसा क्यों बोले राहुल गांधी ? अक्सर चर्चा में रहने वाले ऊर्जा मंत्री ने कीचड़ में फांसी कार को लगाया धक्का