'हम शिक्षा की राजनीति करते हैं और भाजपा जेल भेजने की..' जेल से सिसोदिया की चिट्ठी के मायने क्या ?

नई दिल्ली: शराब घोटाला मामले में बुरी तरह घिरे दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तिहाड़ जेल से देश के नाम एक चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में सिसोदिया ने केंद्र की सत्ताधारी भाजपा पर लोगों को जेल भेजने की राजनीति करने का इल्जाम लगाया है। उन्होंने कहा कि हम बच्चों को पढ़ाने की राजनीति करते हैं, वहीं भाजपा लोगों को जेल भेजने की राजनीति कर रही है। चिट्ठी के जरिए शराब घोटाले के आरोपी मनीष सिसोदिया ने सवाल किया है कि सत्ता के पदों पर आसीन नेताओं ने देश के युवाओं के लिए बेहतरीन स्कूल और कॉलेज क्यों नहीं खोले? उन्होंने पूछा कि महत्वपूर्ण महत्व के बाद भी शिक्षा को हमेशा किनारे क्यों रखा गया है? उन्होंने लिखा कि यदि राजनेताओं ने शिक्षा के लिए अपने संसाधनों और ऊर्जा को समर्पित किया होता, तो हमारे देश के प्रत्येक बच्चे की पहुंच विकसित देशों जैसे गुणवत्ता वाले स्कूलों तक होती।   आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सिसोदिया ने लिखा कि 'जब राजनेता जेल चलाकर सफलता प्राप्त करते हैं, तो उनके पास शिक्षा को प्राथमिकता देने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं होता है। सिसोदिया ने कहा कि, देश में सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संस्थान स्थापित करने की तुलना में आलोचकों को जेल में बंद करके असहमति को शांत करना आसान है।  सिसोदिया ने उत्तर प्रदेश को लोकगायिका नेहा सिंह राठौर का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि असहमति प्रकट करने वाली एक लोक गायक को सरकार की तरफ से जेल की धमकी दी गई थी। इसी प्रकार, जब एक कांग्रेस प्रवक्ता ने पीएम मोदी के संदर्भ में एक शब्द का उपयोग किया, तो दो राज्यों की पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया था।

सिसोदिया ने आगे कहा कि अरविंद केजरीवाल को अपराधी केवल इसलिए माना जाता है, क्योंकि उन्होंने पॉलिटिक्स का एक नया रूप पेश किया है, जो पीएम मोदी के दृष्टिकोण को चुनौती देता है। परिणामस्वरुप, केजरीवाल की पार्टी के दो सदस्य वर्तमान में जेल में हैं। सिसोदिया ने लिखा कि जेल की सियासत, सत्ताधारी नेता की ताकत को बढ़ाती है। हालांकि, शिक्षा की राजनीति के साथ मुद्दा यह है कि यह देश को मजबूत बनाता है, व्यक्तिगत नेता को नहीं। उन्होंने कहा कि अगर प्रत्येक बच्चा, चाहे उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो, शिक्षा प्राप्त करे और एक जिम्मेदार नागरिक बने, तो देश उन्नति करेगा।

पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि जेल की राजनीति के उलट शिक्षा की राजनीति एक चुनौतीपूर्ण काम है, जिसे जांच एजेंसी के 4 अधिकारियों पर दबाव बनाकर किया जा सकता है, मगर इसके विपरीत शिक्षकों को दबाव या डरा धमकाकर काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। अपने कर्तव्यों को कुशलतापूर्वक निभाने के लिए उन्हें सम्मान और प्यार की जरूरत होती है। नेताओं को शिक्षा की राजनीति की तुलना में जेल की राजनीति में सफलता हासिल करना हमेशा सरल लगता है।

मनीष सिसोदिया की चिट्ठी के मायने क्या ? 

बता दें कि, मनीष सिसोदिया किसी सत्ताधारी नेता की आलोचना करने के मामले में नहीं, बल्कि, शराब घोटाले और अवैध लेनदेन के मामले में जेल में कैद हैं। वहीं, उनके साथी और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन पर हवाला के जरिए मनी लॉन्डरिंग करने का आरोप है। सत्येंद्र जैन तो ED के सवालों से बचने के लिए ये तक कह चुके हैं कि, उनकी याददाश्त जा चुकी है और उन्हें कुछ भी याद नहीं है। वहीं, मनीष सिसोदिया का नाम भी शराब घोटाले में गिरफ्तार किए गए एक शख्स ने सरकारी गवाह बनते हुए लिया है। इसके साथ ही CBI ने कोर्ट को अब तक हाथ लगे सबूत और दस्तावेज दिखाते हुए सिसोदिया की रिमांड मांगी थी, जिसे अदालत ने मंजूरी भी दी थी। अब सिसोदिया जो असहमति को दबाने के लिए गिरफ़्तारी की बात कह रहे हैं, वो एक राजनितिक बयान है। सीएम केजरीवाल पर टिप्पणी करने के मामले में पंजाब पुलिस भी भाजपा नेता तजिंदर बग्गा को अरेस्ट करने दिल्ली तक आ गई थी, तो क्या इसे भी असहमति को दबाने की कार्रवाई कहा जा सकता है ? ये सियासी मामले हैं, वहीं, सिसोदिया जिस मामले में अरेस्ट किए गए हैं, वो आपराधिक और भ्रष्टाचार का मामला है। ऐसे में मनीष सिसोदिया को चाहिए कि, वे कोर्ट में अपनी बेगुनाही साबित करें और यदि वे इसमें सफल हो जाते हैं, तो  पुनः आकर डिप्टी सीएम का पद संभालें। 

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