धार्मिक मंत्रों में बहुत शक्ति होती है. यदि व्यक्ति सही रूप से इसका उच्चारण करता है, तो अपने जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त कर सकता है. इसी प्रकार यदि मंत्रों का उपयोग निश्चित दिशा में बैठकर किया जाता है, तो यह व्यक्ति के घर में उपस्थित वास्तु दोष को भी दूर कर सकते हैं, तो आइये जानते हैं कौन से मंत्र का जाप किस दिशा में बैठकर करने से लाभ होता है? ईशान कोण – ईशान कोण देवगुरु बृहस्पति की दिशा मानी जाती है और भगवान शिव को इस दिशा का देवता कहा जाता है, यदि किसी व्यक्ति के ईशान कोण में कोई दोष होता है, तो उसे गुरु मंत्र “ॐ बृं बृहस्पतये नम:” का जाप करना चाहिए तथा भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र ॐ नमः शिवाय का 108 बार जाप करने से संबंधित दोष समाप्त होता है. पूर्व दिशा – यदि व्यक्ति के मकान की पूर्व दिशा में कोई दोष होता है, तो व्यक्ति को इस दिशा के स्वामी सूर्यदेव के मंत्र “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:” का जाप प्रतिदिन नियमित रूपसे करने पर यह दोष समाप्त हो जाता है. दक्षिण दिशा – इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए ”ॐ अं अंगारकाय नम:” मंत्र का 108 बार जाप करना इस दोष को दूर करता है, इस दिशा का गृह स्वामी मंगल और देवता यम माने गए हैं. इस दिशा के दोष को यमदेव के मंत्र “ॐ यमाय नमः” का जाप करके भी दूर किया जा सकता है. पश्चिम दिशा – इस दिशा से समबन्धित वास्तु दोष को दूर करने के लिए इस दिशा के स्वामी शनिदेव के मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नमः का नियमित रूप से जाप करना चाहिए. इससे इस दिशा का दोष समाप्त होने के साथ ही शनि पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है. इस दिशा के देवता वरुण देव माने गए हैं. उत्तर दिशा – उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर की दिशा कहा गया है और इस दिशा का प्रतिनिधि ग्रह बुध होता है. यदि इस दिशा में कोई दोष होता है तो व्यक्ति को बुध के मंत्र “ॐ बुं बुधाय नमः” तथा कुबेर के मंत्र “ॐ कुबेराय नमः” का जाप करना सभी दोषों को दूर कर आर्थिक समृद्धि लाता है. मंत्र में जोड़ा गया ये शब्द बड़ा ही फलदायी होता है ये लोग मरते दम तक करते हैं सच्ची मोहब्बत स्त्री हो या पुरुष, भूल कर भी न करें ये काम ऐसे व्यक्ति होते हैं जीवन में सफल