मुंबई: आवाम को बांटकर राज करने के जो खेल राजनेता खेलते हैं, वो अब उनके ही सर पर उल्टा पड़ने वाला है. मराठा आंदोलन ने तो सरकार की नाक में दम कर ही रखा है. लेकिन अब मराठा क्रांति मोर्चा की आरक्षण की मांगों को देखते हुए, दूसरे समुदाय भी मराठाओं वाला ही रास्ता अपनाने की तैयारी कर रहे हैं. थमने का नाम नहीं ले रहा मराठा आंदोलन, सीएम ने बुलाई बैठक गौरतलब है कि मराठा समुदाय सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण की मांग कर रहा है. जिसके चलते पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में भय का माहौल है. मुंबई से लेकर पुणे तक तोड़-फोड़,आगज़नी और हिंसा की घटनाओं ने प्रशासन को हिला दिया है. इसी को शांत करने के लिए सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक आपात बैठक भी बुलाई थी. मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद मराठा समुदाय को उनकी मांगे मानने का आश्वासन भी दिया था, लेकिन मराठा संगठन अपने रुख में नरमी लाने को तैयार नहीं हैं, उन्होंने सरकार को 2 दिन का समय दिया है, साथ ही 1 अगस्त को पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है. मराठा आरक्षण आंदोलन : मराठाओं के पक्ष में महाराष्ट्र सरकार मराठा समुदाय के इस प्रदर्शन के बाद धनगर जाति के लोग खुद को एसटी कैटेगरी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, उन्होंने भी आरक्षण न मिलने पर सड़क पर प्रदर्शन की चेतावनी दी है. वहीं विदर्भ से हल्बा-कोष्टी समुदाय ने भी आरक्षण को लेकर अपनी मांगें रखी है. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में कुल 52 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. इसमें 13 फीसदी कोटा एससी के लिए, 7 फीसदी एसटी के लिए, ओबीसी के लिए 19 फीसदी और घूमतुं जातियों के लिए 13 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. लेकिन अब ओबीसी जातियां अपने लिए 27 फीसदी आरक्षण चाहती हैं, जिस कारण सरकार घिर गई है. खबरें और भी:- फिर सुलगा मराठा आंदोलन, पुणे में 10 बसें फूंकी मराठा आंदोलन पर नर्म पड़ती महाराष्ट्र सरकार EDITOR DESK : मराठा आरक्षण को बीजेपी का समर्थन क्यों?