नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को निरस्त करने के फैसले पर पुनर्विचार करने से साफ़ इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई 2021 को आरक्षण रद्द करने के अपने फैसले को यथावत रखा है. अदालत ने गुरुवार को पुनर्विचार की मांग को लेकर दाखिल याचिकाएं खारिज कर दी हैं. सर्वोच्च न्यायालय के 5 जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बेंच ने कहा कि रिकॉर्ड पर कोई त्रुटि नहीं मिली है, जिससे मामले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो. इस मामले में 11 अप्रैल को चेंबर सुनवाई के दौरान संविधान पीठ ने खारिज कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति एमआर शाह, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट्ट और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की संविधान पीठ ने इन याचिकाओं को खारिज किया है. संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि रिकॉर्ड पर कोई त्रुटि नहीं मिली है, जिससे मामले पर फिर से विचार करने की आवश्यकता हो. बता दें कि, 5 मई 2021 को दिए फैसले में संविधान पीठ ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण निरस्त करते हुए कहा था कि 1992 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, आरक्षण सीमा 50 फीसदी से आगे नहीं की जा सकती. 'भारत में कैसे फिट बैठेगा इस प्रकार का रिश्ता..', समलैंगिक शादियों की वैधता पर बोले श्रीश्री रविशंकर दिल्ली-NCR में बारिश से सुहावना हुआ मौसम, पारा भी लुढ़का 'अगर मैं किसी मर्द से प्यार करूँ तो...', समलैंगिक शादी के समर्थन में उतरे ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक