नईदिल्ली। अब से महाराष्ट्र के सभी शासकीय कार्यालयों और विभिन्न संगठनों में मराठी भाषा का प्रयोग किया जाएगा। अर्थात् अब शासकीय कार्य मराठी भाषा में होने लगेगा। इसके बाद रेलवे, मेट्रो रेल, बैंकिंग, टेलीफोन, पोस्ट आॅफिस के टिकट्स, फॉर्म्स , आदि सभी कार्यों में लोगों को जानकारियां मरीठी में प्रकाशित मिलेंगी। इस नियम के बाद महाराष्ट्र में ईमारतों पर मराठी भाषा में लिखे बोर्डस का उपयोग भी होगा। हालांकि राज्य भी कई स्थानों पर भी भी सूचना बोर्ड मराठी भाषा में लिखे हुए होते हैं। इसे लेकर महाराष्ट्र सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि,मराठी,महाराष्ट्र ऑफिसियल लैंग्वेज एक्ट,1964 के तहत महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा है। यह भाषा पूरे राज्य में बोली जाती है। मगर इस नियम के लागू होने के बाद गैस, आयकर विभाग और कई अन्य महत्वपूर्ण विभाग के कार्य भी मराठी भाषा में होने लगेंगे। इससे वहां रहने वाले लोगों को आसानी होगी और वे क्षेत्रीय भाषा के माध्यम से सरकारी नियमों और प्रक्रिया को आसानी से समझ सकेंगे। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र राज्य में शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना द्वारा कई बार मराठी भाष को प्रमुख भाषा के तौर पर उपयोग किए जाने की अपील की जाती रही है। दोनों पार्टियां इस मामले में आंदोलन तक कर चुकी हैं। उल्लेखनीय है कि मनसे ने बैंकिंग कार्य में, दुकानों पर लगे सूचना बोर्ड पर मराठी भाषा का उपयोग किए जाने को लेकर व्यापक अभियान चलाया था। अब राज्य सरकार ने पांच पन्नों की अधिसूचना जारी की है। जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार के सभी शासकीय विभागों में भी मराठी का प्रयोग अनिवार्य होगा। सरकार के इस आदेश का महाराष्ट्र नवनिर्माणसेना और शिवसेना ने स्वागत किया है कि इस आदेश का पालन भी करवाया जाना चाहिए। हालांकि देश में केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों में त्रिभाषा का फाॅर्मूला लागू किया हुआ है। जिसके तहत विभिन्न राज्यों में शासकीय कार्य को हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्र विशेष की भाषा जैसे मराठी, गुजराती बंगाली आदि में किए जाने का प्रावधान किया है लेकिन दक्षिण भारत में इसे कम ही अपनाया जाता है। इसका कारण है कि वहां कथित तौर पर मान्यता है कि इस फाॅर्मूले के माध्यम से उन पर हिंदी का प्रयोग थोपा जाता है। शिवसेना ने जताई ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका शिवसेना ने किया योगी पर वार भाजपा : ब्लू प्रिंट से ब्लू फिल्म तक - राज ठाकरे मनसे प्रमुख की दो टूक, पीट कर आएं, पिट कर नहीं