नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बुधवार को अंतर-धार्मिक विवाह के खिलाफ बयान जारी करते हुए मुस्लिम युवकों से मुस्लिम समुदाय के अंदर ही निकाह करने की अपील की है। AIMPLB का कहना है कि मुस्लिम और गैर-मुस्लिम के बीच शादी को इस्लाम के शरिया कानून के अनुसार, हराम माना गया है। इसके साथ ही यह धार्मिक रूप से भी गलत है। AIMPLB के कार्यवाहक महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने मुस्लिम युवाओं, आलिमों और मुस्लिम बच्चों के अभिभावकों से इस संबंध में अपील की है। बोर्ड ने प्रेस नोट में गैर-मुस्लिम से शादी को गलत ट्रेंड बताते हुए कहा है कि यदि कोई मुसलमान किसी गैर-मुस्लिम से निकाह करता है, तो वह ताउम्र गलत काम करता रहेगा। बोर्ड के अनुसार, मुस्लिम धर्म के बाहर जो लोग शादी कर रहे हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि उनके अम्मी-अब्बू ने उन्हें इस्लाम की शिक्षा सही तरीके से नहीं दी है। साथ ही बोर्ड ने धार्मिक नेताओं और मुस्लिम बच्चों के अम्मी-अब्बू से अपने बच्चों को समुदाय में ही निकाह करने के लिए मनाने की अपील की है। बोर्ड ने एक बयान में कहा है कि ऐसी कई घटनाएँ हुई हैं, जहाँ मुस्लिम लड़कियों ने गैर-मुसलमानों से विवाह किया और बाद में उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने इस्लामिक नेताओं से अंतर-धार्मिक विवाह से होने वाले नुकसान के संबंध में तकरीरों में नियमित रूप से इस विषय को उठाने का भी अनुरोध किया है। AIMPLB ने मुस्लिम अभिभावकों से कम आयु में ही अपने बच्चों की शादी करने और उसमें देरी नहीं करने का अनुरोध किया है, खासकर लड़कियों के मामले में। बोर्ड ने कहा कि, ”विवाह में देरी भी इस प्रकार के अंतर-धार्मिक विवाहों की एक प्रमुख वजह है।' कंगाल हुए Vodafone Idea के निवेशक, महज 4 दिन में 10926 करोड़ रुपए डूबे साउथ अफ्रीकन नेशनल पार्क्स ने 12 राष्ट्रीय उद्यानों को लेकर कही ये बात ED ने फ्लिपकार्ट को भेजा कारण बताओ नोटिस, जानिए क्या है मामला?