आप सभी को बता दें कि हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मीसिक शिवरात्रि मनाई जाती है और इस बार यह तीन अप्रैल को यानी कल है. आप सभी को बता दें कि इस दिन शिवजी की पूजा का महत्व माना गया है और शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता पार्वती ने भी शिवरात्रि का व्रत रख कर शिव की पूजा की थी. आप सभी को बता दें कि पौराणिक मान्यता यह है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा से कोई भी मुश्किल और असम्भव कार्य पूरा किया जा सकता है. कहा जाता है मासिक शिवरात्रि का व्रत शुरु करने वाले महा शिवरात्रि से इसे आरम्भ कर सकते हैं और एक साल तक कायम रख सकते हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं को शिवरात्रि के दौरान जागे रहना चाहिए और रात्रि के दौरान भगवान शिव की पूजा करना चाहिए और अविवाहित महिलाएं इस व्रत को विवाहित होने हेतु एवं विवाहित महिलाएं अपने विवाहित जीवन में सुख और शान्ति बनाये रखने के लिए इस व्रत को करती है. पूजन विधि - इसके लिए ध्यान रखे कि भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है और दिन के डूबने और रात्रि के मिलते हुए समय को प्रदोष काल कहा जाता है. ऐसे में शिवरात्रि के उपवास में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है और इस दिन दोनों वक्त फलाहार का ही महत्व होता है. आप सभी को बता दें कि शिव पूजा का फल तभी प्राप्त होता है जब पूजा के दौरान रुद्राभिषेक करते हैं. ऐसे में इस दिन भगवान शिव के ध्यान के लिए विशेष रुप से भगवान शिव के सामने बैठकर ध्यान करते हैं और शिव पूजा के लिए शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टक और शिव श्लोक का पाठ करना लाभदायी होता है. शिवपुराण में लिखे है मौत के पहले मिलने वाले यह संकेत 750 साल बाद इस एक राशि पर मेहरबान होने वाले है भोलेनाथ सिर्फ क्रोध ही नहीं ख़ुशी में भी तांडव करते हैं भोलेनाथ