बच्चियों को स्कूल में गंदी वीडियो दिखाता था मास्टर अनावरुल, सजा क्या मिली? सिर्फ ट्रांसफर

रांची: झारखंड के गोड्डा जिले में एक सरकारी स्कूल के सहायक शिक्षक पर नाबालिग छात्राओं को अश्लील वीडियो दिखाने और गंदी बातें करने का गंभीर आरोप लगा है। यह आरोप उत्क्रमित उच्च विद्यालय संग्रामपुर में तैनात सहायक शिक्षक अनवारुल होदा पर लगा है। जब छात्राओं ने अपने अभिभावकों को इस बारे में बताया, तो गुरुवार, 5 सितंबर 2024 को अभिभावकों ने स्कूल परिसर में पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। इस घटना के बाद शिक्षक का तबादला कर दिया गया है और मामले की जांच जारी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महागामा प्रखंड के विश्वासखानी पंचायत स्थित इस स्कूल में कई नाबालिग छात्राओं ने बताया कि अनवारुल होदा उन्हें मोबाइल पर अश्लील फिल्में दिखाता है और उनसे गंदी-गंदी बातें करता है। इस बात को सुनकर अभिभावक आक्रोशित हो गए और स्कूल में हंगामा किया। स्थिति तनावपूर्ण हो गई और हाथापाई की नौबत आ गई। स्कूल के प्रधानाध्यापक ने हस्तक्षेप करते हुए अभिभावकों को आश्वासन दिया कि वे संबंधित अधिकारियों को मामले की सूचना देंगे। इसके बाद अभिभावक शांत हुए।

अभिभावकों ने स्पष्ट किया कि जब तक आरोपी शिक्षक स्कूल में रहेगा, वे अपनी बच्चियों को स्कूल नहीं भेजेंगे। उनके साथ स्थानीय ग्रामीण भी इस विरोध में शामिल हुए। प्रधानाध्यापक ने मामले की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी, जिसके आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने अनवारुल होदा का दूसरे स्कूल में तबादला कर दिया। साथ ही, मामले में देरी के लिए प्रधानाध्यापक से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।

इस घटना के प्रकाश में कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठते हैं कि,  झारखंड सरकार महिला सुरक्षा के प्रति गंभीर है? स्कूल जैसी जगह पर इस तरह की घटना चिंता का विषय है। एक शिक्षक पर इतने गंभीर आरोप लगने के बाद केवल स्थानांतरण ही पर्याप्त कार्रवाई है? क्या ऐसे कदम अपराधियों के हौसले नहीं बढ़ा सकते? क्या राज्य सरकार को सख्त कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो? क्या दूसरे स्कूल में अनावरुल सुधर जाएगा, और बच्चियों के साथ गंदी हरकत नहीं करेगा ? क्या किसी राजनीतिक हित या वोट बैंक के कारण इस मामले में कड़ी कार्रवाई से परहेज किया गया है?

इन प्रश्नों के माध्यम से यह आवश्यक है कि संबंधित अधिकारी और सरकार इस मामले को गंभीरता से लें और उचित कार्रवाई सुनिश्चित करें ताकि छात्राओं की सुरक्षा और विश्वास बहाल हो सके।

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