माता जी एक ऐसा मंदिर जहां मां खुद देती हैं भक्तों को प्रसाद

मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित "अछरू माता मंदिर" भक्तों के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र है, जहां हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना लेकर आते हैं। यह मंदिर निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत मडिया में स्थित है और यहां मां अछरू माता को विशेष रूप से चमत्कारी देवी माना जाता है। मान्यता है कि यहां माता कुंड के माध्यम से भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और उनकी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं।

माता रानी का चमत्कारी दरबार यह मंदिर अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है। लोगों का विश्वास है कि अछरू माता हर भक्त की प्रार्थना सुनती हैं और उन्हें मनोकामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद देती हैं। यहां आने वाले भक्तों की मान्यता है कि मां न केवल उनके प्रश्नों का उत्तर देती हैं, बल्कि यह भी बता देती हैं कि उनका कार्य सफल होगा या नहीं। यह मंदिर विशेष रूप से इसलिए अनोखा है क्योंकि मां यहां भक्तों से संवाद करती हैं। भक्त मां से अपनी फरियाद करते हैं, और माता उनके सवालों का उत्तर देकर उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।

मनोकामना पूर्ण होने से पहले मिलता है प्रसाद अछरू माता मंदिर की एक और विशेषता यह है कि यहां भक्तों को उनकी मनोकामना पूर्ण होने से पहले ही प्रसाद मिल जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जो भी भक्त माता से अपनी इच्छा की पूर्ति की प्रार्थना करता है, उसे नींबू, दाख, गरी, फूल, जलेबी, दही और चिरौंजी जैसे प्रसाद प्राप्त होते हैं। यह प्रसाद मां द्वारा भक्तों की मनोकामना के आधार पर दिया जाता है। कहा जाता है कि जिनकी इच्छाएं पूरी होने वाली होती हैं, उन्हें विशेष प्रकार का प्रसाद मिलता है, जो इस बात का संकेत होता है कि उनकी प्रार्थना स्वीकार हो चुकी है।

अछरू माता के प्राकट्य की अद्भुत कथा अछरू माता के मंदिर की स्थापना और उनकी कहानी अत्यंत रहस्यमयी और रोमांचक है। लगभग 500 साल पहले, यादव जाति के एक चरवाहे, जिसका नाम अछरू था, की भैंसें जंगल में गुम हो गई थीं। वह कई दिनों तक अपनी भैंसों की तलाश करता रहा, लेकिन उन्हें खोज नहीं पाया। प्यास से व्याकुल होकर वह एक वृक्ष की छाया में बैठ गया। तभी माता रानी ने कुंड से प्रकट होकर उसे दर्शन दिए और उसे कुंड से जल पीने को कहा। माता ने उसे उसकी खोई हुई भैंसों की जानकारी दी और मार्गदर्शन दिया कि वह कहां उन्हें पाएगा।

चरवाहे ने जब कुंड से पानी पिया और अपनी लाठी कुंड में डाली, तो वह लाठी कुंड के भीतर चली गई। बाद में जब वह माता द्वारा बताई गई जगह पहुंचा, तो उसे न केवल उसकी भैंसें मिलीं, बल्कि वह लाठी भी उसी स्थान पर मिली। इस घटना ने अछरू को स्तब्ध कर दिया और उसने माता की पूजा आरंभ कर दी। धीरे-धीरे यह बात फैल गई और लोग इस स्थान पर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आने लगे।

मंदिर का चमत्कारी कुंड मंदिर की पहाड़ी पर स्थित चमत्कारी कुंड भी एक बड़ा आकर्षण है। इस कुंड की खास बात यह है कि यह सदैव पानी से भरा रहता है, भले ही बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखा पड़ा हो। यहां तक कि जब इस क्षेत्र में पानी की कमी हो जाती है, तब भी कुंड का जल कभी कम नहीं होता। यह कुंड भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है और लोग यहां से जल ग्रहण करके इसे अपनी समस्याओं के समाधान के रूप में देखते हैं। कई लोग इस कुंड के पानी का स्रोत जानने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन आज तक कोई इसे समझ नहीं पाया है।

माता का चमत्कारी संकेत और रहस्यमयी प्रसाद स्थानीय लोगों का मानना है कि माता देवी भक्तों को दैवीय आपदाओं का भी संकेत देती हैं। उदाहरण के लिए, एक बार जब कुंड के पास की सफाई की जा रही थी, तब किसी ने लोहे के साधन से कुंड के मुहाने पर लगी काई को कुरेदने का प्रयास किया। जैसे ही काई हटाई गई, कुंड का पानी खून जैसा लाल हो गया था। इस घटना ने वहां मौजूद सभी लोगों को हैरान कर दिया और इसे माता का क्रोध माना गया। इस घटना के बाद से कुंड को अत्यधिक पवित्र माना जाता है और यहां की सफाई को बहुत ही सावधानीपूर्वक किया जाता है।

सती के आंसू से जुड़ी मान्यता इस स्थान से जुड़ी एक और मान्यता यह है कि जब दक्ष प्रजापति ने अपने यज्ञ में भगवान शिव का अपमान किया था, तो माता पार्वती का अपमान देखकर उनके आंसू गिरे थे। यह वह स्थान है जहां उनके आंसू पृथ्वी पर गिरे थे। इस कारण इस स्थान को पृथ्वी का मध्य स्थल माना जाता है और यह स्थान अत्यधिक पवित्र माना जाता है।

नवरात्रि में विशाल मेले का आयोजन अछरू माता मंदिर में हर वर्ष चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन होता है। इन मेलों में देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि अछरू माता के अनन्य भक्त अछरू के वंशज ही इस मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और आज भी उसी भक्त परिवार द्वारा यहां की पूजा संपन्न की जाती है।

इस मेले के दौरान भक्तजन माता के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं, पूजा करते हैं और अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं। भक्तों का विश्वास है कि माता रानी उनकी सभी इच्छाएं पूरी करती हैं और उन्हें जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

अछरू माता मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अछरू माता मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इस क्षेत्र के सांस्कृतिक जीवन में भी इसका विशेष स्थान है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और यह मंदिर अब देशभर में प्रसिद्ध हो चुका है। भक्तों के अनुसार, यहां आने से उन्हें मानसिक शांति और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस होते हैं।

मंदिर की प्राचीनता और चमत्कारिक घटनाओं के कारण यह स्थल आज भी लोगों के बीच आस्था और श्रद्धा का प्रतीक बना हुआ है। यहां आने वाले भक्तों को इस स्थान से गहरा आध्यात्मिक अनुभव मिलता है और वे माता रानी के प्रति अटूट विश्वास के साथ लौटते हैं।

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