24 मार्च 2023 शुक्रवार यानी आज मत्स्य जयंती है। इस दिन प्रभु श्री विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन कुछ खास उपायों को करने से प्रभु श्री विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। मत्स्य को विष्णु जी का पहला अवतार माना जाता है जिन्होंने वैवस्वत मनु को बाढ़ से बचाया था। इस अवतार में विष्णु जी मछली बन कर प्रकट हुए थे। हमारे हिन्दू पुराणों में शतपथ ब्राह्मण में इसका व्याख्यान सबसे पहले आया 700 -300 इसा पूर्व तथा उसके बाद भी कई पुराणों में इसका अलग से वर्णन मिलता है। मत्स्य पुराण इस अवतार के बारे में ही बताता है। भगवत पुराण में मत्स्य वेदों को राक्षस हयग्रीव से बचते हैं तथा ये अग्नि पुराण में भी बताया गया है। वही यहां जो कथा हम आपको बताएंगे ये पद्मा पुराण से है। इसके मुताबिक, ऋषि कश्यप एवं उनकी पत्नी दनु को एक पुत्र हुआ हयग्रीव। ऋषि कश्यप जितने सौम्य और ज्ञानी थे उनका बेटा उनसे उतना ही उलट और अधर्मी था। उसके स्वभाव को देख कर दानवों उसे अपना राजा बना लिया। उसने सारे मानव जाती को परेशान करना आरम्भ कर दिया। एक दिन उसे पता चला की प्रभु श्री विष्णु चारों वेदों को ब्रह्मा जी को सौंपने वाले हैं। ये जान कर उसने सभी वेदों को चुरा लिया। ब्रह्मा समझ गए की अब इन वेदों का शुद्धिकरण जब तक नहीं होगा तब तक ये किसी काम के नहीं। वही ऐसे में उन्होंने भगवान महादेव की सहायता मांगी। भगवान महादेव ने एक घनघोर बाढ़ का संयोजन किया तथा जब विष्णु जी को इसका पता चला तो उन्होंने तुरंत एक मछली यानि मत्स्य का अवतार ले लिया। मनुष्यता को फिर से स्थापित करने में इस अवतार का बहुत बड़ा योगदान मना जाता है। मत्स्य अवतार ने न सिर्फ हयग्रीव से सारे वेदों को वापस ला कर उनकी रक्षा की बल्कि वैवस्वत मनु एवं उनकी पत्नी पत्नी शतरूपा संग सप्तऋषियों को भी बाढ़ से सुरक्षित निकाल लिया। तत्पश्चात, उन्होंने वेदों को मनु को सौंपा और उन पर सारे मनुष्य जाति को आगे बढ़ाने का उत्तरदायित्व भी दिया। सुहागिनें नहीं कर सकती इन देवी मां के दर्शन, जानिए क्या है वजह? जब महादेव को निगल गई थी माँ सती, जानिए पूरी कहानी यहाँ जानिए गणगौर व्रत की कथा