एक बार फिर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ मौलाना फजलुर्रहमान ने मोर्चा खोल दिया है. मौलाना फजलुर्रहमान पाकिस्तान में जमीयते-उलेमाए-इस्लाम के ताकतवर नेता है. इस बार उनका मोर्चा मदरसे और वहां पढ़ाए जा रहे पाठयक्रम को लेकर है. उनका कहना है कि मदरसा पाठ्यक्रम में सुधार और इसके नाम पर धार्मिक शिक्षा नीति में किसी भी तरह के बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा. द डॉन अखबार के अनुसार शुक्रवार को रावलपिंडि में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मौलाना ने कहा कि मदरसों को आतंकवाद से जोड़ना एक गलत सोच है. जल्द ताकतवर होगी भारत की वायु सेना, रूस कर रहा सहयोग मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले भी आजादी मार्च निकालकर मौलाना फजलुर्रहमान पाक सरकार की नाक में दम कर चुके हैं. मौलाना ने पाकिस्तान में इमरान सरकार को सत्ता से हटाने के लिए ये मार्च निकाला था, इसमें पाक की राजनीतिक दल के अन्य सदस्यों ने भी हिस्सा लिया था. बड़े पैमाने पर मौलाना को इसमें समर्थन मिला था. पूरे पाकिस्तान में इस मार्च को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हुई थी. एकबारगी तो लगा था कि इमरान खान को सरकार से जाना होगा मगर फिर स्थितियां संभाल ली गई. ईरान के 'सर्वोच्च नेता' को डोनाल्ड ट्रम्प की चेतावनी, कहा- जुबान संभालकर बोलें.... आपकी जानकारी के लिए बता दे कि उन्होंने इससे पहले इस्लामाबाद में भी कहा था कि मदरसों में सुधार की कवायद निंदनीय है और इसका समाज पर बहुत नकारात्मक असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की केंद्रीय समिति ने शिक्षा मंत्रालय की इस कवायद के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन छेड़ने का फैसला किया है. मौलाना ने कहा कि उनकी पार्टी सरकारी खजाने से मदरसे के विद्यार्थियों को मानद राशि देने का भी विरोध करती है. चीन में अज्ञात वायरस का कहर, दो की मौत, कई प्रभावित भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की मुश्किलें बढ़ीं, अब नीलाम होगी सिनेमाहॉल वाली लक्ज़री हवेली 'भाषण चार द्वीप' में बसाए जाएंगे एक लाख रोहिंग्या शरणार्थी, मौजूद होंगी ये सुविधाएं