पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इस वर्ष के स्वतंत्रता दिवस भाषण में यह खास तौर पर जिक्र किया कि राज्य के क्वारनटीन सेंटर्स में 15 लाख से ज्यादा प्रवासियों का ध्यान रखा गया जो लॉकडाउन के बीच अपने घर वापस आ गए. सीएम ये बताना भी नहीं भूले कि हर एक प्रवासी को लौटने के उपरांत 5,300 रुपये जारी कर दिए गए है. नीतीश कुमार ने बोला कि राज्य सरकार ने लॉकडाउन के बीच देश के विभिन्न भागों में फंसे लगभग 21 लाख बिहार के लोगों में से हर एक के बैंक खाते में सीधे 1,000-1,000 रुपए भेजे गए. संयोग से, कुछ माह पहले ही, जब देश भर में लॉकडाउन शुरू हुआ तो कुमार प्रवासियों को वापस लेने के विरुद्ध थे. 15 अगस्त को, वह अपने भाषण के पहले कुछ अंशों में ही प्रवासियों को अपनी सरकार की तरफ से दी गई सहायता का उल्लेख करते नज़र आए. चुनाव की ओर बढ़ रहे राज्य के सीएम के लहजे में परिवर्तन साफ नज़र आ रहा है. ये अपने आप में ही प्रवासी वोट की अहमियत को दर्शाता है. प्रवासियों को लुभाने की कोशिश की वजह?: गरीब कल्याण रोजगार अभियान (GKRA) पोर्टल के अनुसार कोविड-19महामारी के दौरान 23.6 लाख प्रवासियों की बिहार में घर वापसी हो चुकी है. ये आंकड़ा और किसी भी राज्य में लौटे प्रवासियों का आंकड़े की तुलना में कहीं अधिक है. यह आंकड़ा 2015 के विधानसभा चुनाव में इस वर्ग की ओर से डाले गए कुल मतों से 6 प्रतिशत से ज्यादा है. बिहार के 38 में से 16 जिलों का डेटा कहा जा रहा है कि वहां 5 प्रतिशत से अधिक कामकाजी पुरुषों की आबादी अंतर्राज्यीय प्रवासियों की हैं. उनमें से बड़ी मात्रा में अपने मूल स्थानों पर लौट चुके हैं. बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. ऐसे में सीएम कुमार प्रवासियों की चिंताओं को लेकर बहुत सतर्क हैं. इन 16 जिलों में राज्य की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 123 सीटें आ रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रवासियों के मध्य कुमार को लेकर नाराजगी नजर आ रही है. ये शायद महामारी के दौरान लॉकडाउन में उन्हें पेश आई परेशानी के कारण से है. फ्रांस में कोरोना का विस्फोट, महज 24 घंटों में सामने आए 7379 नए केस सीएम सोरेन ने लोगों से की अपील, कहा- सेहत का रखे ध्यान और लगाएं मास्क बाढ़ से पाकिस्तान में हाहाकार, 39 लोगों की मौत, कई इलाके जलमग्न