हर किसी के जीवन में एक गुरु, एक शिक्षक या एक टीचर होता है. ये हमारी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदलकर रख देते हैं. ऐसे में इनके महत्व को भी जानना जरूरी है. हर कोई अपने जीवन में इनसे रूबरू होता है, हालांकि इनका महत्व, परिभाषा और अर्थ हर कोई नहीं जान पाता है. तो आइए ऐसे में जानते हैं शिक्षक के अर्थ और महत्व के बारे में... शिक्षक का अर्थ... शिक्षक शब्द अंग्रेजी के टीचर शब्द का हिंदी अनुवाद है. प्राचीन समय में और आज भी कहीं-कहीं शिक्षक को गुरु कहा जाता है. गुरु यूं तो एक छोटा सा शब्द है, लेकिन इसकी दुनिया सबसे वृहद है. इसकी जड़ें गहरी और बेहद मजबूत है. कोई इंसानी सोच इन्हें उखाड़ नहीं सकती है. गुरु का शाब्दिक अर्थ होता है संपूर्ण. मतलब कि जिसके पास गुरु है उसे दुनिया में कहीं ओर जाने की आवश्यकता नहीं है. मानव जीवन में शिक्षक का किरदार... हर मानव के जीवन में शिक्षक या गुरु का अहम किरदार होता है. भारतीय संस्कृति में शिक्षक को परमपिता से भी ऊंचा दर्जा प्राप्त है. शिक्षक जीवन है, संस्मरण है, स्मरण है, गुरु मानव जीवन की सबसे बड़ी विरासत है. गुरु को लेकर यह कहा जाता है कि प्रलय और निर्माण इनकी गोद में पलते हैं. एक बेहतर भविष्य के लिए जीवन में गुरु का होना आवश्यक है. गुरु बिना ये जीवन मानो बिना जल के मछली की तरह है. गुरु परमात्मा, माता, पिता, समय, वैज्ञानिक, चिकित्सक, कवि, लेखक आदि किसी भी रूप में हो सकते हैं. ये हमें तय करना है कि हमें इन सबमें से किसे चुनना है. भारत में शिक्षक दिवस... शिक्षक के महत्व से लोगों को रूबरू कराने के उद्देश्य से भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. बता दें कि इस दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस भी होता है और उन्हीं के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. शिक्षक दिवस : हमारे जीवन को इस तरह बदलते हैं शिक्षक, आते हैं ये 5 बड़े बदलाव भारत में शिक्षक दिवस का महत्व, भगवान से भी ऊँचा है गुरु का दर्जा शिक्षक दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन ?