मेरठ : यूपी में आम जन कितना परेशान है इसका ताज़ा उदाहरण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में मिल रहा है जहा साम्प्रदायिक तनाव से परेशान मेरठ के लिसाड़ी गांव के लोगों ने पलायन की राह अपना ली है और घर बेचने के इश्तेहारों में ही अपना दुःख लिख रहे है. ग्रामीणों ने प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए गांव से पलायन करने का ऐलान कर दिया है. मेरठ में गांव लिसाड़ी में दो सम्प्रदाय के लोगों के बीच 21 जून को बाइक की टक्कर को लेकर विवाद हुआ था. लोगों का आरोप है कि पुलिस ने इस मामले में एक पक्ष के दो लोगों पर कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया और दूसरे पक्ष को थाने से ही छोड़ दिया. 100 से ज्यादा घरों के बाहर "ये मकान बिकाऊ है, यहां छोटी-छोटी बातों पर साम्प्रदायिक विवाद बनते हैं", के पोस्टर लगे है. पीड़ित हनीफ कहते हैं कि ये ऐलान उन्होंने मजबूरी में किया है. नहीं तो हमारे यहां भाईचारे का इतिहास था. 1987 में जब मेरठ सुलग रहा था तो भी यहां सब ठीक था. कुछ सालों में यहां ऐसे तत्व आए हैं, जिन्होंने हमारे बीच फूट डालने का काम किया है. छोटे-छोटे विवादों को इन्होंने साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की. हनीफ ने कहा कि 21 जून को दुकान में बाइक टकरा गई. जिसे साम्प्रदायिक रंग दिया गया. प्रशासन ने एकपक्षीय कार्रवाई की. हमारी एफआईआर तक भी नहीं लिखी जा रही है. वहीं पीड़ित फरजाना कहती हैं कि हमें इंसाफ नहीं मिल रह है, लिहाजा हम पलायन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों का विवाद था, चाहे हमारा हो या उनका, दोनों के बीच आसानी से मामला शांत कराया जा सकता था लेकिन विवाद को इतना बड़ा बना दिया गया. एकतरफा कार्रवाई है. फरजाना ने कहा कि यहां जितने परिवार हैं, सभी पलायन करना चाहते हैं. हमें कोई सुरक्षा नहीं है. फरजाना ने कहा कि हमें इंसाफ चाहिए. सिर्फ हमारे बच्चों के खिलाफ ही कार्रवाई क्यों की गई. वहीं इमराना कहती हैं कि बच्चों की लड़ाई को हिन्दू मुस्लिम बना लिया. सभी ने समझाने की कोशिश की लेकिन ये नहीं माने. हम लिसाड़ी में रहकर अपने आपको सुरक्षित नहीं मान रहे हैं. मुद्दे पर मेरठ के एसएसपी राजेश पांडेय ने कहा कि वहां एक दुकानदार और उनके पड़ोसी में झगड़ा हुआ था. दो लोगों के इस झगड़े को साम्प्रदायिक रूप भी देने की कोशिश की गई. जिन लोगों ने गलती की थी, मारपीट की थी, हमला किया था, उनके खिलाफ मुकदमा लिखा गया. जब गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जाने लगी, तो दबाव बनाने के लिए एक कागज अपने दरवाजे पर चिपका दिया गया है. एसएसपी ने कहा कि पलायन जैसी कोई बात नहीं है. सिर्फ पुलिस पर दबाव बनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. वहां कोई ऐसी स्थिति नहीं है कि उन्हें वहां से जाने की आवश्यकता पड़े. एसएसपी ने कहा कि जब किसी मुल्जिम के यहां दबिश दी जाती है तो गिरफ्तारी से बचने के लिए वह खुद ही परिवार के साथ भाग जाता है. उसमें पलायन वाली बात तो कोई होती नहीं है. एसएसपी ने कहा कि जो आरोपी हैं, वह गिरफ्तारी से बचने के लिए परिवार के साथ वहां से भाग गए हैं. 'बंगला सरकार' ने गरीब लोगों के घर रोके थे- पीएम मुझे राम मंदिर में कोई आस्था नहीं, मैं इंसानों को पूजता हूँ: शरद यादव योगी के कैबिनेट में फेरबदल पर लगी मुहर