शिलांग: मेघालय के जयंतिया हिल्स कि अवैध कोयला खदान में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए चलाए जा रहे अभियान का नतीजा शुन्य रहा है. इस हादसे कि तजा जानकारी आपको निराश कर सकती है, लेकिन सत्य यही है. इस सत्य के पीछे एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी और बेहद सुस्त रवैया उत्तरदायी है. उल्लेखनीय है कि 13 दिसंबर को अवैध खदान में उतरे 13 श्रमिक 300 फीट नीचे फंस गए थे. खदान से कोयला निकालते समय एक दीवार समीप में ही बह रही नदी की दीवार से टकरा गई और तेजी से नदी का पानी खदान में भरता चला गया. इस हादसे के बाद खदान ने सबसे पहले पहुंची एनडीआरएफ को ये पता करने में ही एक दिन लग गया था कि खदान से पानी निकालने के बिना बचाव कार्य का कोई कार्य नहीं हो पाएगा. किन्तु फिर भी एनडीआरएफ के गोताखोर 250 फीट की धरातल के बाद जहां तक पानी भरा था, वहां से 70 फीट से अधिक गहराई में जाने में सक्षम नहीं थे. जबकि पानी 250 फीट पर सतह समाप्त होने के बाद 70 फीट से अधिक भरा हुआ है. भारत के पास सही पंप, गोताखोर और एक्सपर्ट की पूरी टीम होने के बाद भी इस हादसे में किसी अच्छी सूचना की आशा इसलिए भी नहीं की जा सकती क्योंकि इस बचाव अभियान में तत्काल निर्णय लेने वाला कोई नहीं है. इस बीच पीड़ितों के परिवार वालों को एक-एक लाख रुपए के चेक पहुंच गए हैं. खबरें और भी:- बाजार में बढ़त के साथ हुई इस सप्‍ताह की शुरुआत गुजरात में दो ट्रकों के ने मारी एसयूवी को टक्कर, एक ही परिवार के 10 लोगों की मौत हैंडसेट संबंधी नियमों को कड़ाई से लागू कराने पर सरकार कर रही है विचार