लखनऊ। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अर्थात् कैग द्वारा उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में हुई फिजूलखर्ची को लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत की है। एक आॅडिट रिपोर्ट में करोड़ों के खर्चों पर चिंता जताई गई है। कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सुरक्षा काफिले के वाहनों को खरीदने के लिए ही करोड़ों रूपए खर्च हो गए। गौरतलब है कि इस बात का उल्लेख तब भी हुआ था जब एक बैठक में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए नया वाहन खरीदने का प्रस्ताव सामने आया था लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने नया वाहन खरीदने से इन्कार कर दिया था और कहा था कि इस तरह की फिजूलखर्ची वे नहीं चाहते हें वे उन वाहनों से ही काम चलाऐंगे जो सीएम के काफिले के लिए पहले से ही उपयोग में लाए जा रहे हैं। अब कैग की रिपोर्ट ने इस मसले की गंभीरता को बढ़ा दिया है। कैग द्वारा उत्तरप्रदेश की सरकार के वर्ष 2015 में दो मर्सिडीज बेंज बुलेटप्रूफ वाहन खरीदने को लेकर सवाल किए गए हैं। जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है उसमें कहा गया है कि केवल बुलेटप्रूफ वाहनों के लिए ही 6.9 करोड़ रूपए का खर्च कर दिया गया है। इतना ही नहीं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री जिस मर्सिडीज़ में सफर करते हैं वह करोड़ों रूपए की है। हालांकि समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चैधरी इस मामले में किए जाने वाले सवालों को टाल गए। मीडिया को उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। हालांकि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा कहा गया था कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बुलेटप्रूफ वाहनों की खरीदी बहुत आवश्यक है। कैग ने जो रिपोर्ट पेश की है उसमें यूपी में वर्ष 2015 व 2016 में सड़क निर्माण कार्य के ठेके आवंटित किए जाने में भी अनियमितता बरतने की बात शामिल है। जहां तक वीआईपी पर्सन्स के लिए वाहनों के उपयोग की बात है तो यह कहा गया है कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री इंडिया मेड वाहनों में ही सफर करते हैं। ऐसे में वाहनों के काफिले के लिए यूपी की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा किया जाने वाला करोड़ों का खर्च किसी के गले नहीं उतर रहा है। 4 दिन में 4 शिक्षा मित्रों की मौत, समायोजन रद्द होने से नाराज़ हैं शिक्षा मित्र UP : समाजवादी पार्टी के 2 MLC बीजेपी में शामिल हुए