देश में एलडब्ल्यूई (लेफ्ट विंग एक्सट्रेमिसम) की संदिग्ध गतिविधियों के नेटवर्क और आंदोलन को कुछ रसूखदार नेताओं द्वारा ही वित्त पोषित किया जा रहा है. इन गतिविधियों में सरकारी ठेकेदारों और योजनाओं, खनन ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और छोटे और मध्यम उद्योगों के मालिकों , निजी ठेकेदारों से वसूली का पैसा उपयोग किया जाता है. इसी तरह गैर क़ानूनी तरह से अवैध क्षेत्रों में खनन, 'तेंदु पट्टा' का संग्रह जैसे अवैध धंधो से भी धन जुटाया जा रहा है. नेटवर्क के जरिये ही एकत्रित धन का एक बड़ा हिस्सा नेताओं की व्यक्तिगत संपत्ति के रूप में बदल जाता है और इनके इशारो पर सारे काले धंधे करने वाले गुमराह लोग जरा से धन के लालच में जंगलो की ख़ाक छानते फिरते है और एक संकीर्ण मानसिकता से ग्रसित रहते है. अब इसके खिलाफ एमएचए ने वामपंथी और चरमपंथी आंदोलन की आर्थिक रीड पर चोट करने के इरादे से कई कदम उठाए हैं और वामपंथी चरमपंथी नेताओं की सम्पतियों को जब्त करना भी इन कदमो में शामिल है. कुछ काम जो एमएचए ने किये है- • केंद्रीय एजेंसियों और राज्य पुलिस के अधिकारियों सहित बहु-अनुशासनात्मक समूहों की स्थापनाकी गई है जिनमे ईडी, डीआरआई, राज्य खुफिया और सीआईडी, सीबीडीटी, एनआईए, सीबीआई शामिल है. • एलडब्ल्यूई से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों की जांच के लिए एनआईए में एक अलग शाखा जो समानांतर रहकर क्रियाकलापों को अंजाम देगी बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू की है केंद्रीय एजेंसियां (ईडी, एनआईए, आईबी) और राज्य एजेंसियां नियमित बैठकों का समन्वय और आयोजन कर रही हैं. कार्रवाई के लिए योग्य और बुद्धिमान लोगों की टीम को जोड़ना एक मुश्किल काम था मगर अब जाकर इस पर काफी काम किया जा चूका है और टीम बड़ी कामयाबी की ओर अग्रसर है. कमलनाथ के 'नालायक' वाले बयान पर शिवराज का पलटवार प्रदेश के पेंशनर्स को केंद्र के समान पेंशन मिलेगी राज्य के ग्वालियर-चंबल संभाग में तूफान का असर