भारत में अल्पसंख्यकों के हालात पडोसी मुल्कों से बेहतर- तस्लीमा

अपनी मातृभूमि बांग्लादेश से निर्वासन का दंश झेल रहीं विवादास्पद लेखिका तस्लीमा नसरीन ने पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों की तुलना में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की हालत को काफी बेहतर बताया है.

इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में शिरकत करने आईं तस्लीमा ने कहा, “बांग्लादेश में हिंदुओं और बौद्धों पर बहुत अत्याचार होता है. मैं हालांकि पाकिस्तान कभी नहीं गई. लेकिन मैंने वहां भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के जबरन धर्मांतरण और उन पर ढाए जाने वाले दूसरे जुल्मों-सितम के बारे में पढ़ा है.” उन्होंने आगे कहा, “इन दोनों मुल्कों के मुकाबले भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की हालत काफी बेहतर है. भारत का आइन (संविधान) सबके लिए समान है. हालांकि, मैं यह नहीं कह रही हूं कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय की सारी दुश्वारियां खत्म हो गई हैं.”

हाल ही में अपने लेख में राजसमंद के लव जिहाद हत्याकांड की तुलना, आतंकी संगठन आईएसआईएस के हिंसक कृत्यों से करने पर तसलीमा की ख़ासी आलोचना हुई. इस विवाद पर तस्लीमा ने कहा कि “यह कहना सरासर गलत है कि मैंने अपने लेख में समूचे हिंदू समुदाय की आईएसआईएस से तुलना की है. मैंने बस एक घटना का जिक्र किया है. मैं इस मामले में अपने खिलाफ लगाए जा रहे झूठे आरोपों से बेहद परेशान हूं.’ शंभूलाल को गिरफ्तार करने को लेकर तस्लीमा ने भारतीय कानून-व्यवस्था की तारीफ भी की.

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