Movie Review : मंगल के मिशन को कामयाब होते देख आप भी करेंगे गर्व

आजादी के इस दिन के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार है और इस खास दिन पर बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की फिल्म 'मिशन मंगल' रिलीज़ हुई है. ये मंगल ग्रह पर आधारित है जिसके लिए काफी इंतज़ार हो रहा था. जानते हैं कैसी है फिल्म की कहानी. 

कलाकार : अक्षय कुमार, विद्या बालन, सोनाक्षी सिन्हा, तापसी पन्नू, कीर्ति कुल्हारी, शरमन जोशी, नित्या मेनन, संजय कपूर, जीशान अयूब  निर्देशक : जगन शक्ति  मूवी टाइप : Drama,History  अवधि : 2 घंटा 13 मिनट रेटिंग : 3.5/5

कहानी: जैसा कि जानते हैं फिल्म मगल ग्रह पर आधारित हैं. फिल्म 2010 से शुरू होती है, जहां इसरो का जाना-माना साइंटिस्ट और मिशन डायरेक्टर राकेश धवन (अक्षय कुमार) इसरो की ही साइंटिस्ट और प्रॉजेक्ट डायरेक्टर तारा शिंदे (विद्या बालन) के साथ मिलकर एक जीएसएलवी सी-39 नामक मिशन के अंतर्गत एक रॉकेट लॉन्च करता है, मगर दुर्भाग्य से उनका मिशन नाकाम साबित होता है. खामियाजे के फलस्वरूप राकेश को इसरो के खटाई में पड़े मार्स प्रॉजेक्ट वाले विभाग में भेज दिया जाता है. वहां होमसाइंस के नियम से तारा को मिशन मंगल का आइडिया सूझता है. इस प्रॉजेक्ट के लिए ये दोनों इसरो के हेड विक्रम गोखले को आश्वस्त करते हैं, मगर उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती है बजट और नासा से बुलाए गए अफसर दिलीप ताहिल का कड़ा विरोध. 

ऐसे में राकेश की जिद और कमिटमेंट पर उसे ऐका गांधी (सोनाक्षी सिन्हा), कृतिका अग्रवाल (तापसी पन्नू), वर्षा पिल्ले (नित्या मेनन), परमेश्वर नायडू (शरमन जोशी) और एचजी दत्तात्रेय (अनंत अय्यर) जैसे नौसिखिए साइंटिस्टों की टीम दी जाती है. ये सभी साइंटिस्ट मंगल मिशन को लेकर जरा भी आश्वस्त नहीं हैं. इनकी अपनी निजी समस्याएं और सोच हैं. तारा शिंदे उनकी सोच को बदलकर उन्हें मिशन मंगल पर जी-जान से जुटने को प्रेरित करती है. 

रिव्यू: निर्देशक जगन शक्ति ने फिल्म के जरिए अपना डेब्यू किया है. और पहली ही फिल्म में उन्होंने बेहतरीन काम किया है.  साइंस और सच्ची ऐतिहासिक घटना पर आधारित फिल्म के साथ वह अपना प्रभाव जमाने में कामयाब रहे हैं. दर्शकों को ये फिल्म पसंद आ रही है. लेकिन उन्होंने किरदारों को मास अपील देने के लिए कई जगह पर सिनेमैटिक लिबर्टी ली है, जो कुछ एक जगह पर बचकानी भी लगती है, मगर इसके बावजूद उन्होंने इमोशन के सिरे को मजबूती से पकड़े रखा है. निर्देशक ने होमसाइंस और दूसरे साइंटिफिक तथ्यों के आधार पर मंगलयान मिशन के सफर को समझाने की कोशिश की है, मगर स्पेशल इफेक्ट्स के मामले में वह कमजोर साबित हुए हैं. 

इसके अलावा वीएफएक्स इफेक्ट्स दमदार होते तो स्पेस वाले दृश्य बेहतरीन बन सकते थे. क्रिस्प कहानी, प्रभावशाली बैकग्राउंड स्कोर और बांधकर रखनेवाला क्लाईमैक्स फिल्म के प्लस पॉइंट हैं, मगर फिल्म के अंत में पीएम की एंट्री और उनकी कॉमेंट्री की जरूरत नहीं थी. सभी कलाकरों का अभिनय फिल्म को दर्शनीय बनाता है. 

एक्टिंग : अक्षय कुमार ने राकेश धवन की भूमिका को बहुत ही मजेदार ढंग से जिया है. उनके वन लाइनर्स पर दर्शक न केवल मुस्कुराते हैं बल्कि तालियां भी पीटते हैं.  एक्ट्रेस विद्या बालन हमेशा की तरह अपने जादू को जगाने में कामयाब रही हैं. उन्होंने एक साइंटिस्ट और एक आम मां व बीवी की भूमिका को इतनी खूबसूरती से जिया है. एक दृश्य में वह अपने पति संजय कपूर से कहती है, 'बेटी की इतनी फिक्र है, तो उसके दोस्तों के नंबर अपने पास रखो. मुझे गिल्टी फील करवाने से क्या फायदा?' ऐका गांधी की भूमिका में सोनाक्षी हॉट लगने के साथ-साथ कन्विंसिंग लगी हैं. वहीं तापसी ने अपने किरदार की सहजता को बनाए रखा है. मंगल गृह के प्रकोप के मारे शरमन जोशी ने अपने चरित्र में अच्छा-खासा मनोरंजन किया है. संजय कपूर, नित्या मेनन, कीर्ति कुल्हारी, जीशान अयूब, अनंत अय्यर ने छोटी भूमिकाओं के बावजूद अच्छा साथ दिया है. अमित त्रिवेदी के संगीत में, 'मिशन मंगलम' गाना ठीकठाक बन पड़ा है. 

क्यों देखें: गर्व की अनुभूति और फीलगुड फैक्टर के लिए यह फिल्म देखी जा सकती है. 

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