आप सभी को बता दें कि इस साल मिथुन संक्रांति 15 जून को है. ऐसे में कहा जाता है प्रकृति ने महिलाओं को मासिक धर्म का वरदान दिया है, इसी वरदान से मातृत्व का सुख मिलता है. वहीं मिथुन संक्रांति कथा के अनुसार जिस तरह महिलाओं को मासिक धर्म होता है वैसे ही भूदेवी या धरती मां को शुरूआत के तीन दिनों तक मासिक धर्म हुआ था जिसको धरती के विकास का प्रतीक माना जाता है. कहते हैं तीन दिनों तक भूदेवी मासिक धर्म में रहती हैं वहीं चौथे दिन में भूदेवी जिसे सिलबट्टा भी कहते हैं उन्हें स्नान कराया जाता है. आप सभी को बता दें कि इस दिन धरती माता की पूजा की जाती है. 15 जून 2020 को मिथुन संक्रांति का मुहूर्त पुण्यकाल मुहूर्त 11:52 से 18:16 महा पुण्यकाल मुहूर्त 11:52 से 12:16 संक्राति समय 11.52 मिथुन संक्रांति पूजा विधि - इस दिन सिलबट्टे को भूदेवी के रूप में पूजा जाता है और सिलबट्टे को इस दिन दूध और पानी से स्नान कराया जाता है. वहीं इसके बाद सिलबट्टे पर चंदन, सिंदूर, फूल व हल्‍दी चढ़ाते हैं. अब मिथुन संक्रांति के दिन पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है. इसी के साथ मिथुन संक्रांति के दिन गुड़, नारियल, चावल के आटे व घी से बनी मिठाई पोड़ा-पीठा बनाया जाता है. कहते हैं इस दिन किसी भी रूप में चावल ग्रहण नहीं किए जाते हैं. आप सभी को यह भी बता दें कि इस बार सूर्य देव 15 जून 2020 को मिथुन में प्रवेश कर रहे हैं और इसमें सूर्य की स्थिति उत्तम मानी जाती है. ऐसे में इस बार सूर्य के साथ मंगल बुध और राहु भी विद्यमान होंगे और इसी के साथ इनपर शनि की दृष्टि भी होगी. केवल इतना ही नहीं सूर्य, मंगल, बुध और राहु के साथ शनि का ये सम्बन्ध राजनैतिक और सामजिक रूप से समस्याएं दे सकता है. वहीं विपरीत स्वभाव के ग्रहों का सम्बन्ध विचित्र परिणाम पैदा कर सकता है. ऐसा होता है अधिक प्रेम-प्रसंग होने वालों के हथेली का रंग, होता है कर्मों के हिसाब से बदलाव संकष्टी चतुर्थी पर जरूर करें गणेश जी की आरती आज है संकष्टी चतुर्थी, यहाँ जानिए व्रत का महत्व