आइजोल: देश में इस समय विधानसभा चुनाव का मौसम चल रहा है। पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में मिजोरम राज्य सबसे ज्यादा सुर्खियों में चल रहा है। जानकारी के अनुसार बता दें कि पू्र्वोत्तर के ईसाई-बहुल राज्य मिजोरम में तमाम क्षेत्रीय दल भाजपा से दूरी बरत रहे हैं। दरअसल भाजपा के साथ कोई तालमेल कर वे राज्य की ईसाई भावनाओं व चर्च की नाराजगी मोल लेने का खतरा नहीं उठाना चाहते और यही वजह है कि एमडीए और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस नेडा में उसके सहयोगी मिजो नेशनल फ्रंट एमएनएफ और नेशनल पीपुल्स पार्टी एनपीपी तक ने उससे कन्नी काट ली है। उत्तराखंड निकाय चुनाव: कांग्रेस और निर्दलीय से आगे चल रही भाजपा यहां बता दें कि भाजपा नेता भले यहां पार्टी की स्वीकार्यता बढ़ने का दावा कर रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत एकदम उलट है। एमएनएफ और सात क्षेत्रीय दलों को मिला कर गठित जोरम पीपुल्स मूवमेंट जेडपीएम ने साफ कह दिया है कि वे भाजपा से कोई संबंध नहीं रखेंगे। वहीं एमएनएफ प्रमुख जोरमथांगा ने कहा है कि वे चुनाव से पहले या बाद में भाजपा के साथ कोई तालमेल नहीं करेंगे। इसके अलावा बता दें कि पड़ोसी मेघालय, नागालैंड और मणिपुर में भाजपा के सहयोगी दल के तौर पर सरकार में शामिल एनपीपी ने भी इस राज्य में भगवा पार्टी के साथ गठजोड़ की संभावना खारिज कर दी है। मध्यप्रदेश चुनाव: इन तीन गाँवों में पहली बार होगा मतदान, बुनियादी सुविधाएं भी नहीं है उपलब्ध गौरतलब है कि मिजोरम में कांग्रेस का दबदवा ज्यादा है। वहीं एनपीपी अध्यक्ष कोनराड संगमा कहते हैं कि यहां हम भाजपा के खिलाफ मैदान में हैं। अबकी ज्यादातर राजनीतिक पर्यवेक्षक किसी भी पार्टी को अकेले बहुमत नहीं मिलने यानी विधानसभा त्रिशंकु होने की संभावना जता रहे हैं। लेकिन जोरमथांगा का कहना है कि वे ऐसी स्थिति में भी भाजपा से सहयोग नहीं लेंगे। हालांकि उनका दावा 40 में से 32 सीटें जीत बहुमत हासिल करने का है। खबरें और भी राजस्थान चुनाव: राज परिवार के हाथ है बीजेपी की लाज, चार महिलाऐं हैं मैदान में छत्तीसगढ़ चुनाव: किसी ने अमेरिका से आकर, तो किसी ने अंत्येष्टि रोक कर किया मतदान राजस्थान चुनाव: गोयल ने डाला आग में घी, कहा बाथरूम में बंद कर अध्यक्ष पद से निकाला गया था सीताराम केसरी को