मोबाइल की लत बच्चों में पैदा कर सकती है बड़ा खतरा, स्टडी में हुआ खुलासा

जर्नल ऑफ द इंटरनेशनल चाइल्ड न्यूरोलॉजी असोसिएशन में प्रकाशित हालिया अध्ययन के अनुसार, बच्चों में स्क्रीन टाइम की बढ़ती लत से स्वास्थ्य समस्याएँ विकराल रूप ले रही हैं। साइकोलॉजिस्ट डॉ. एरिक सिगमैन ने अपने पेपर में कहा है कि मोबाइल और टीवी पर ज्यादा समय बिताना खतरनाक है। एक से पंद्रह साल के बच्चे जो दिन में एक से चार घंटे तक स्क्रीन का उपयोग करते हैं, उन्हें मोटापे, दिल की बीमारियों, टाइप-टू डायबिटीज और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा अधिक होता है।

लंबे समय तक स्क्रीन देखने के नुकसान: विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक स्क्रीन देखने से बच्चों का दिमाग कमजोर पड़ता है और उनकी आंखों में स्थिरता नहीं रहती। लगभग 22 प्रतिशत बच्चों में ऑटिज़्म के लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं। वयस्कों की तुलना में बच्चों के दिमाग का विकास पूरा नहीं हुआ होता, जिससे ये समस्याएँ ज्यादा होती हैं।

अध्ययन के निष्कर्ष:  एक अध्ययन के अनुसार, बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा आती है जब वे लंबे समय तक स्क्रीन के सामने रहते हैं। बीएमसी पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक और अध्ययन ने भी पुष्टि की है कि स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों की आंखों की मांसपेशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशें: विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन से दूर रखना चाहिए। दो से पांच साल के बच्चों को सप्ताह में केवल तीन घंटे तक स्क्रीन का उपयोग करने की अनुमति होनी चाहिए। अमृता अस्पताल के मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. राकेश के. चड्डा के अनुसार, अधिक स्क्रीन टाइम से बच्चों में इमोशनल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण भी देखे जा सकते हैं।

फूड एलर्जी की बढ़ती समस्याएँ हाल के समय में फूड एलर्जी की घटनाएँ बढ़ रही हैं। हाल ही में एक 13 साल की लड़की को कोस्टा कॉफी में हॉट चॉकलेट पीने के बाद गंभीर फूड एलर्जी हो गई। यूके की नताशा एलर्जी रिसर्च फाउंडेशन के अनुसार, बच्चों में फूड एलर्जी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस संस्था ने स्कूलों में बच्चों को फूड एलर्जी के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ इस पर व्यापक रिसर्च भी की है।

बच्चों के स्वास्थ्य पर स्क्रीन टाइम और फूड एलर्जी के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञों की सलाह और शोध के आधार पर, माता-पिता को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए ताकि बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रह सके।

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