मोदी और रामनाथ कोविंद भी इस महाकुम्भ में शामिल हुए

जैन धर्म के महाकुम्भ महामस्तकाभिषेक के महापर्व का शुभारम्भ 17 फरवरी से प्रारंभ हो गया है जो की श्रवणबेलगोला में 20 दिनों तक चलेगा. यह महापर्व बहुत ही ख़ास है इसमें भारत के वर्तमान राष्ट्रपति ने भी हिस्सा लिया. जैन धर्म के इस महाकुम्भ को प्रत्येक 12 वर्षों में एक बार मनाया जाता है और भगवान बाहुबली का महामस्तकाभिषेक किया जाता है. आइये जानते है इस महापर्व को मनाने का कारण क्या है?

भगवान बाहुबली को श्रवणबेलगोला में ही मोक्ष की प्राप्ति हुई थी, यहीं पर इनकी भव्य व विशाल प्रतिमा जो की 57 फिट ऊंची है का निर्माण 981 में किया गया था जो जैन धर्म के लोगों का मुख्य तीर्थ स्थान है लेकिन इस महापर्व पर सभी धर्मों के लोग भगवान बाहुबली के दर्शन करने यहाँ आते है.

महामस्तकाभिषेक का प्रारंभ – महामस्तकाभिषेक का प्रारंभ गंग वंश के शासनकाल में कर्नाटक राज्य में हुआ था जो यह इतना प्रसिद्ध है की इसमें भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी भाग लिया, इसके पूर्व के प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरु, इंदिरा गांधी व नरसिम्हा राव भी इस आयोजन में भाग ले चुके है.

भगवान बाहुबली कौन है? – माना जाता है की भगवान बाहुबली भगवान विष्णु के अवतार है जिन्होंने पृथ्वी पर सबसे पहले मोक्ष की प्राप्ति की थी. भगवान बाहुबली जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर थे जिन्होंने ऋषभदेव के घर पुत्र रूप में जन्म लिया था. ऋषभदेव के दो पुत्र थे जिनका नाम भरत व बाहुबली था. बाहुबली का शासन अयोध्या पर चलता था जिससे उनके भाई भरत के सत्ता के लोभ में बाहुबली से दृष्टि युद्ध, जल युद्ध, मल्ल युद्ध किया जिसमे बाहुबली विजयी रहे. किन्तु इस युद्ध के कारण उनके मन में ग्लानी उत्पन्न हो गई जिसके कारण उन्होंने सब कुछ त्याग दिया और मोक्ष की प्राप्ति के लिए तपस्या करने चले गए और अंत में अपनी कठिन तपस्या के बल पर मोक्ष की प्राप्ति का मोक्षगामी बने जिससे जैन धर्म के लोग भगवान बाहुबलीको प्रथम मोक्षगामी मानते है. 

 

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