नई दिल्ली: कोरोना वायरस के कहर के बाद दवाओं के लिए चीन से इम्पोर्ट होने वाले कच्चे माल की दिक्कतों की वजह से सरकार ने देश में ही इनकी मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए तैयारी आरंभ कर दी है. फार्मा सेक्टर के लिए लगभग 10 हजार करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया गया है. उद्योग जगत ने भी मोदी सरकार के इस कदम का स्वागत किया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि अगले पांच वर्षों में लगभग 3000 करोड़ रुपये के निवेश से देश में तीन 'बल्क ड्रग पार्क' बनाए जाएंगे. इसके साथ ही सरकार देश में ही ड्रग इंटरमीडिएट, एक्टिव फार्मा इनग्रेडिएंट (API) यानी दवाओं के क्रूड आयल की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए अगले आठ वर्षों में लगभग 6,940 करोड़ की रकम से प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) योजना लागू करेगी. शनिवार को केंद्रीय कैबिनेट ने इस योजना को स्वीकृति दी थी. इससे भारतीय दवा उद्योग की दवाओं के मैन्युफैक्चरिंग में चीन पर निर्भरता कम होगी. आपको बता दें कि देश में दवाओं के उत्पादन के लिए जरूरी लगभग तीन-चौथाई कच्चा माल चीन से आयातित होता है. किन्तु हाल के महीनों में चीन में कोरोना के कहर की वजह से वहां के कारखाने बंद रहे और इसकी वजह से भारतीय दवा उद्योग के हाथ-पांव फूल गए. 'कोरोना' की मार से कराह उठा बाज़ार, 2307 अंकों की गिरावट के साथ खुला बाज़ार कोरोना से जंग में मदद करने के लिए अनिल अग्रवाल ने बढ़ाए हाथ, देंगे 100 करोड़ कोरोना वायरस : भारत के इन राज्यों में घोषित हुआ लॉकडाउन, यहां देखे पूरी लिस्ट